पंचायत समिति की विकास में अहम भूमिका! प्रसिद्ध यादव।
निकम्मे को बोझ न ढोये। पंचायत में कोई काम गिनती करवा लें 0 है। मैनपुर अंडा पंचायत में लगातार जीत रहे प्रतिनिधि उप प्रमुख बनने की बात छोड़ दें। किसी समिति के अध्यक्ष न होना दब्बूपन की पहचान और न कभी प्रखंड में पंचायत की समस्याओं के लिए मुखर रहे। हाँ दलाली खूब हुई मोटेशन का, जाति, आवासीय, ओबीसी, बीपीएल, राशनकार्ड, बैंक से लोन आदि में। मुंह में आवाज़ ही नही है, फिर निर्जीव को ढोने से क्या फायदा?
त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था के अन्तर्गत पंचायत समिति मध्यवर्ती पंचायत के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह ग्राम पंचायत एवं जिला परिषद के बीच कड़ी का कार्य करता है। जिस प्रकार केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकार के प्रशासनिक एवं विधायी सम्बन्धी सारे कार्य संविधान के नियमों के अनुकूल संचालित होता है, उसी प्रकार पंचायत समिति के सारे कार्य बिहार पंचायत राज अधिनियम, 2006 के विभिन्न धाराओं एवं नियमों के अनुकूल संचालित होता है। बिहार पंचायत राज अधिनियम, 2006 की धारा-34 से लेकर धारा-61 तक में पंचायत समिति के सारे कार्यो को सम्मिलित किया गया है । पंचायत समिति का गठन प्रखंड स्तर पर होता है। ग्राम पंचायत की तरह प्रत्येक पंचायत समिति का प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र होता है, जो लगभग 5000 की आवादी पर निर्धारित होता है।
पंचायत समिति की मुख्य धारा एवं उससे संबंधित प्रावधानों का संक्षिप्त विवरण नीचे अंकित है:-
पंचायत समिति की संरचना
लगभग 5000 की आबादी पर निर्धारित प्रत्येक प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र से पंचायत समिति के लिये एक प्रतिनिधि पंचायत समिति सदस्य के रूप में मतदाताओं द्वारा प्रत्यक्ष रूप से चुना जाता है। पंचायत समिति में प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र से सीधे चुनकर आये हुए सदस्यों के अतिरिक्त और भी निम्न सदस्य होते है :-
सम्बन्धित प्रखंड या इसके निर्वाचन क्षेत्र का अंशत: या पूर्णत: प्रतिनिधित्व करने वाला लोक सभा एवं विधान सभा के सदस्य;
राज्य सभा एवं विधान परिषद के वे सदस्य जो पंचायत समिति क्षेत्र (प्रखंड) के अन्तर्गत निर्वाचक के रूप में पंजीकृत हों;
पंचायत समिति क्षेत्र (प्रखंड) में पड़ने वाली सभी ग्राम पंचायत के मुखिया;
पंचायत समिति का कार्यपालक पदाधिकारी प्रखंड विकास पदाधिकारी होता है।
पंचायत समिति की कार्यावधि
पंचायत समिति की कार्यावधि पाँच वर्षो की होती है। इसकी पहली बैठक से अगले पाँच वर्षो तक कार्यावधि होगी।
प्रमुख और उप प्रमुख का निर्वाचन
पंचायत समिति के निर्वाचित सदस्य अपने बीच से दो सदस्यो को प्रमुख और उप-प्रमुख के रूप में चुनेंगे। यदि प्रमुख और उप प्रमुख के पद किसी कारण से बाद में रिक्त हो जाय तो पुन: अपने में से प्रमुख एवं उप-प्रमुख को चुनेंगे।
शपथ ग्रहण
पंचायत समिति के प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र से निर्वाचित सदस्यों को अनुमंडल दंडाधिकारी शपथ ग्रहण करायेंगे। निर्वाचित प्रमुख एवं उप-प्रमुख को भी प्रथम बैठक में ही शपथ ग्रहण करायेंगे। प्रथम बैठक की तिथि का निर्धारण तथा अध्यक्षता भी वही करेंगें।प्रथम बैठक के बाद की सभी पंचायत समिति की बैठक की अध्यक्षता प्रमुख और उनकी अनुपस्थिति में उप-प्रमुख करेंगे।
प्रमुख/उप प्रमुख और अन्य सदस्यों को भत्ते
पंचायत समिति के प्रमुख/उपप्रमुख और अन्य सदस्य यथा निर्धारित बैठक शुल्क और भत्ता प्राप्त करते हैं। प्रमुख/ उप-प्रमुख को मासिक भत्ता मिलता है।
पंचायत समिति की बैठक
पंचायत समिति की साधारण बैठक दो माह में कम से कम एक बार बुलाना आवश्यक है। इस बैठक की सूचना कार्यपालक पदाधिकारी द्वारा पंचायत समिति के सभी सदस्यो को बैठक की तिथि, स्थान, तथा बैठक के लिये विषय सूची के साथ दस दिन पूर्व भेजनी होगी।
पंचायत समिति की प्रत्येक बैठक साधारणत: पंचायत समिति के मुख्यालय में की जायगी।
पंचायत समिति बैठक का कोरम कुल सदस्यों की संख्या के आधे सदस्यों की उपस्थिति से पूरा होगा। बैठक में कोरम पूरा नहीं होने पर बैठक दुवारा वुलाने का प्रावधान है। इस प्रकार दोबारा बुलाई गई बैठक में कुल सदस्यों की संख्या के पॉचवे भाग, यानि 20 प्रतिशत की उपस्थिति से कोरम पूरा होने का प्रावधान है। इससे कम विधिमान्य नहीं होग
पंचायत समिति की बैठक की अध्यक्षता प्रमुख और उनकी अनुपस्थिति में उप प्रमुख को करना है। यदि प्रमुख/उप प्रमुख दोनो अनुपस्थित हो तो उपस्थित सदस्यों के बीच से एक सदस्य का चयन अध्यक्षता के लिये किया जायगा।
साधारण बैठक में सभी विषयों का निर्णय उपस्थित सदस्यों के बहुमत से होगा। किसी विषय पर मत विभाजन की स्थिति में मतदान के द्वारा निर्णय किया जायगा। अध्यक्षता करने वाला सदस्य चाहे तो मतदान में वे मतो की संख्या घोषित होने से पहले भाग ले सकते है। मत बराबर होने की दशा में वे अपना निर्णायक मत देगा ।
पंचायत समिति की बैठक में विचारार्थ आये हुए मामले पर वैसा प्रमुख/उप प्रमुख/सदस्य मतदान नहीं करेगा या बैठक में भाग नहीं लेगा जिसका प्रत्यक्ष अर्थिक या निजी लाभ निहित हो।
प्रत्येक बैठक की कार्यवाही का लिखा जाना और उसपर अध्यक्षता करने वाले का हस्ताक्षर होना आवश्यक है। कार्यवाही पंजी पंचायत समिति के कार्यालय में रखी जायगी। कार्यपालक पदाधिकारी पंजी का संरक्षक होगा।
पंचायत समिति की बैठक में सम्बंन्धित पदाधिकारी उपस्थित रहेगें जिन्हें समय से बैठक की सूचना दी जायगी।
पंचायत समिति के कार्य एवं दायित्व
केन्द्र तथा राज्य सरकार एवं जिला परिषद द्वारा सौपे गये कार्य करना ;
सभी ग्राम पंचायत के वार्षिक योजनाओं पर विचार विमर्श एवं समेकन करना तथा समेकित योजनाओं को जिला परिषद में प्रस्तुत करना ;
पंचायत समिति का वार्षिक योजना बजट पेश करना ;
प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित व्यक्तियों को राहत देना ;
प्राकृतिक आपदाओं में प्रमुख को 25 हजार रूपया तक खर्च करने का अधिकार है ;
कृषि एवं उद्यान की उन्नति एवं विकास करना, खेती के उन्नत तरीको का प्रचार प्रसार करना, किसानों के प्रशिक्षण का इंतजाम करना ;
सरकार के भूमि विकास एवं भूसंरक्षण कार्यकलापों के कार्यान्वयन में सरकार और जिला परिषद की सहायता करना ;
लघु सिंचाई कार्यों के निर्माण एवं अनुरक्षण में सरकार और जिला परिषद् की सहायता करना ;
गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम एवं स्कीमों का आयोजन और कार्यान्वयन करना ;
पशुपालन एवं पशु चिकित्सा सेवा का विकास एवं विस्तार करना ;
मत्स्य उद्योग के विकास को प्रोत्साहित करना ;
खादी ग्राम एवं कुटीर उद्योग को प्रोत्साहित करना ;
ग्रामीण आवास योजनाओं का कार्यान्वयन तथा आवास स्थल का वितरण करना ;
ग्रामीण जलापूर्ति योजनाओं का कार्यान्वयन, मरम्मत एवं संरक्षण करना ;
जल प्रदूषण की रोकथाम एवं नियंत्रण ;
ग्रामीण स्वच्छता योजनाओं का कार्यान्वयन ;
सामाजिक एवं फार्म वानकी के अन्तर्गत अपने नियंत्रणाधीन सड़को के किनारे और अन्य सार्वजनिक भूमि पर वृक्ष लगाना एवं उनका संरक्षण करना ;
सड़क, भवन, पुल, जल मार्ग तथा संचार के योजनाओं को कार्यान्वयन एवं संरक्षण करना ;
गैर परम्परागत उर्जा स्त्रोतो का पता लगाना उसके विकास हेतु आवश्यक कार्य करना ;
शिक्षा के अन्तर्गत प्राथमिक विद्यालय भवनों का निर्माण मरम्मत एवं संरक्षण आदि कार्य करना ;
तकनीकी प्रशिक्षण तथा व्यवसायिक शिक्षा का विकास करना ;
वयस्क एवं अनौपचारिक शिक्षा एवं सर्वशिक्षा अभियान का कार्यान्वयन करना ;
सांस्कृतिक कार्यकलाप के अन्तर्गत सांस्कृतिक एवं खेल कूद कार्य कलापों का कार्यान्वयन ;
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के अन्तर्गत स्वास्थय एवं परिवार कल्याण कार्यक्रमों का कार्यान्वयन करना ;
महिलाओं एवं बच्चो के कार्यक्रम को कार्यान्वयन करना तथा इनके विकास हेतु कार्यक्रम का निर्माण करना ;
समाज कल्याण, जिसमें शारीरिक तथा मानसिक रूप से नि:षक्त लोगों के कल्याण हेतु कार्यक्रम तैयार करना तथा सरकार द्वारा चलाये जा रहे योजनाओं को कार्यान्वयन कराना ;
कमजोर वर्गो विशेषकर अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जन जातियों को कल्याण हेतु सरकार द्वारा चालायी गई योजनाओं का कार्यान्वयन करना ;
जन वितरण प्रणाली के अन्तर्गत आवश्यक वस्तुओं का वितरण सुनिश्चित कराना ;
ग्रामीण विद्युतीकरण के कार्यक्रमों का कार्यान्वयन ;
सहकारिता के अन्तर्गत सहकारी कार्य कलापों का विकास करना ;
पंचायत समिति क्षेत्र के अन्तर्गत वाचनालय एवं पुस्तकालय खोलने से सम्बंन्धित क्रिया कलापों को बढावा देना ;
समय-समय पर सरकार द्वारा निर्देशित या सौपें गये अन्य कार्य करना ;
पंचायत समिति की स्थाई समितियाँ
बिहार पंचायत राज अधिनियम, 2006 की धारा-50 के अनुसार स्थाई समिति गठित करने का प्रावधान है। पंचायत समिति अपने कार्यो के प्रभावी निर्वहन के लिये अपने सदस्यों में से निर्वाचन द्वारा निम्नलिखित समितियाँ गठित करेगी:-
पंचायत समिति की स्थायी समितियाँ
1. सामान्य स्थायी समिति
2. वित्त अंकेक्षण तथा योजना समिति
3. उत्पादन समिति
4. सामाजिक न्याय समिति
5. शिक्षा समिति लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण एवं ग्रामीण स्वच्छता समिति
लोक निर्माण समिति
2. प्रत्येक समिति में निर्वाचित सदस्यों में से अध्यक्ष सहित कम से कम तीन और अधिक से अधिक पाँच सदस्य होगें। प्रत्येक समिति अपने दायित्वों के प्रभावी निर्वहन के लिये विशेषज्ञों या लोक हित से सम्बध्द अधिकतम दो सदस्यों को कोऑप्ट (सहयोजित) कर सकती है।
3. प्रमुख सामान्य स्थायी समिति तथा वित्त, अंकेक्षण तथा योजना समिति का पदेन सदस्य और अध्यक्ष होगा तथा प्रत्येक समिति के लिये एक अध्यक्ष नामित करेगा। उप-प्रमुख सामाजिक न्याय समिति का अध्यक्ष होगा। प्रमुख उपर्युक्त दो समितियों सहित तीन से अधिक समितियों के अध्यक्ष का प्रभार नही रखेगा , परन्तु प्रत्येक समिति में कम से कम एक महिला सदस्य होगी तथा सामाजिक न्याय समिति में एक सदस्य अनुसूचित जाति या अनुसूचित जन जाति का होगा।
4. पंचायत समिति का निर्वाचित सदस्य तीन से अधिक समितियों का सदस्य नही होगा।
5. कार्यपालक पदाधिकारी सामान्य स्थायी समिति तथा वित अंकेक्षण एवं योजना समिति का पदेन सचिव होगा। प्रत्येक अन्य स्थायी समिति के सचिव के रूप में जिलापदाधिकारी या उनके द्वारा प्राधिकृत पदाधिकारी जो प्रखण्ड स्तरीय सम्बध्द विभाग का प्रभारी होगा उसे सचिव के रूप में नामित करेगा।
पूरा बिहार बदल रहा है ।80 फीसदी बदले गए फिर आप क्यों नहीं?
Comments
Post a Comment