मध्यवर्गीय का स्टेटस! प्रसिद्ध यादव@A P

 


अक्सर अपने पड़ोसियों, मोहल्ले, गांवों के लोगों से तुलना कर के खुश और आत्मसंतुष्टि हो जाती।  हमारी ताकत क्या है? पड़ोसियों को डरा धमका दिया। बस हम बलवान बन जाते।  हमारा रहन सहन, खान पान  साधारण होता, कोई रिश्तेदार घर पर मिठाई लेकर आ जाते  मुँह का स्वाद बदल जाता था। कभी किसी के यहाँ भोज होता, सुबह से ही शाम होने का इंतजार करते।  बीच पंगत में बैठ गए तब बीच में पुरी सब्जी आते आते खत्म हो जाता, तबतक उंगली चाट कर तृप्त होते।  बेवजह किसी से गाली सुनना होता तब किसी बुजुर्ग को कुछ कह देते। गाँव घर की भौजाई की गाली, हँसी मजाक सिनेमा से ज्यादा मजेदार होता। पर्व त्योहारों का बेसब्री से इंतजार रहता। करुआ तेल बाल से लेकर पूरे शरीर में पोत कर बन ठन जाते। समय बदला अब शादी के बाद  रिशेप्शन शुरू हुआ,  दूल्हा- दुल्हन डर से सहमे रहते, क्योंकि जीवन इतना कभी सम्मान मिला नहीं। हनीमून  पर जाने का कसर सबेरे हलवाई, टेंट वाला, बाजा वाला कपड़े वाले कि तगादा से चक्कर आने लगता है। शादी के बाद कभी होटल में पत्नी के साथ गए तब मेनू कार्ड में यही देखते की सबसे सस्ता कौन है और फाइनली चाय पीकर निकल जाते। पैसा बचाने की धुन सवार हो जाता। मारभात कहकर कुछ बैंक बैलेंस होता, लेकिन एक ही बीमारी में बैलेंस भी खत्म हो जाता और ऊपर से कर्ज भी। स्कूल में अंग्रेजी और मैथ के मास्टर से पिटाई से शिक्षा बीच में ही खत्म। जीवन की गाड़ी चलाने के लिए कोल्हू के बैल की तरह जीवन भर चलते रहते और अंत में लाठी के सहारे झुकी कमर, आँखों पर चश्मा, होंठ काँपते, अनन्त यात्रा के राही बन जाते।कभी अपनी शक्ति का एहसास ही नही हुआ, सब तक़दीर के लकीर के सहारे रह गए। ज्ञान की ज्योती जलाई होती, अंधविश्वास की जकड़न में न पड़कर संविधान को आत्मसात करते, एकजुट होकर रहते, तब दीनहीन नहीं होते। देश और राज्य के शासक बनते और आनेवाले पीढ़ियों को सुनहरा अवसर भविष्य देकर गए होते।

प्रसिद्ध यादव

अध्यक्ष

ओबीसी, पटना।

जय मूलनिवासी!

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