वीर शहीद जय गोविंद यादव अमर रहें। (कविता) प्रसिद्ध यादव।




  

आओ तिलक लगाओ उस मिट्टी की। 

मिश्री यादव नाम पिता के 

वीर सपूत जय गोविंद यादव

शौर्य  वीर की गाथा है

भाई तारकेश्वर यादव

फिर सीमा पर तैनात हुए

जान हथेली पर लेकर

दुश्मनों से हाथ दो चार किये।

पटना फुलवारी अंचल के

बाबुचक्  के धरा है। 

शौर्य वीर की गाथा है। 

सन् 1965 को 27 सितम्बर था

दुश्मनों से लोहा लेते

सीने पर गोली खाई थी। 

जान हथेली पर लेकर दुश्मन का

 चीर सीना दिया ।

देश को ये कर्ज़ देकर

 गहरी नींद सो गए

वीर भारत माँ के शहीद हो गए ।

बलिदान  ये देश कभी न भूल पायेगा

याद करेगा आपको 

और वंदे मातरम् गायेगा ।

देश में  एक नई ऊर्जा का बीज बो गए

 वीर भारत माँ के शहीद हो गए ।

 ऐसे वीर बांकुरा थे। 

बाबुचक् का लाल 

काम आया वतन का

एक एक खून के  कतरा से

जय हिन्द लिखा रहा था

उस खून में इतनी गर्मी थी

पाकिस्तान का चूल हिला  रहा था

वन्दे मातरम् की जय घोष से

आसमां गूंज रहा था

फ़क्र से छाती चौडी थी। 

 सुनी हो गयी गाँव की मिट्टी

रोम रोम में उदासी थी

लाल बहादुर शास्त्री की  

सांत्वना की  चिट्ठी आई थी। 

गम न करो! जय गोविंद यादव की

अश्रु भी न  एक बूंद बहाना। 

आंखे अभी भी दरवाजे पर राह तक रही होगी

वो माँ बेटे की प्रतीक्षा में राते जग रही होगी

उस माँ को अब ये कौन जाकर समझायेगा

तू सो जा माँ तेरा लाल लौट कर नही आएगा ।

एक नया इतिहास लिखकर सन्नाटे में खो गए

फिर से वीर भारत माँ के शहीद हो गए ।

ये  रत्न  था देश का

 काम आया देश का

जो बाबुचक् की मिट्टी को

ललाट पर चंदन लगायेगा

वो धन्य धरती माँ के 

लाल कहलायेगा। 

न कोई स्मारक, न तोरण द्वार

उपेक्षित रहा, 

 न मिला कोई पहचान। 

हम दिल में बसाये हैं

हम चिराग़ जलाये हैं। 

वीर  शहीद जय गोविंद यादव अमर रहें। 

उद्घोष सदा होती रहे। 

वीर शहीद जय गोविंद यादव अमर रहें। 

प्रसिद्ध यादव। बाबुचक से

श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए।


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