देश की एकता- अखण्डता के लिए इंदिरा गांधी की हुई शहादत !प्रसिद्ध यादव

   मैं इसी साल मैट्रिक पास किया था।रेडियो पर ख़बर सुनकर होश उड़ गए थे।दानापुर रेलवे क्लब के टीवी में इनकी अंतिम यात्रा व संस्कार को लाईव देखा था।


31 अक्टूबर 1984 बुधवार के दिन भारत के इतिहास में काला धब्बा है। आयरन लेडी के नाम से मशहूर इंदिरा गांधी की निर्णय क्षमता बहुत ही मजबूत थी।यही कारण है कि इनकी विदेश नीति, अर्थ नीति हो,सफल रहीं। मौत से एक दिन पूर्व कालाहांडी उड़ीसा में अपने भाषण में बोली थीं कि मेरा खून का एक एक कतरा देश को काम आएगा। मानो उनकी मुंह से कल घटने वाली घटनाओं की पूर्वानुमान था।जनसंख्या को नियंत्रण करने के लिए इनकी नीति दूरदर्शी थी, लेकिन देश में आपातकाल घोषित होने से इन्हें तानाशाह कहा जाने लगा, लेकिन आज जनसंख्या कितना विस्फोटक हो गया है, सहज ही समझा जा सकता है।देश की धर्मनिरपेक्षता और अखण्डता के लिये हमेशा लड़ती रही, गरीबों के लिए अनेक कल्याणकारी, लाभकारी योजनायें शुरू की थी। सड़क, रेल, दूरसंचार, स्वास्थ्य, शिक्षा की इनकी योगदान को देश कभी नही भूल सकता है, लेकिन दुर्भग्यवश आज धीरे धीरे सब निजीकरण हो रहे हैं या पूंजीपतियों के हाथों बिक रहे हैं।अब राष्ट्रीय संपदा को बेचना ही  आत्मनिर्भर बन गया है।

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