उड़ता भारत! नशे के गिरफ्त में युवा।प्रसिद्ध यादव
कई पंचायत प्रतिनिधि और इनके परिजन शराब की तस्करी और सेवन में जेल की हवा खाये, अखबारों में फ़ोटो भी छापे।फिर भी बेशर्म की तरह इस बार भी हाथ जोड़े खड़ा है। सैलूट महान जनता को ऐसे को सिर्फ नकार ही नही रहे, बल्कि दरवाजे पर ठहरने भी नही देते हैं। नशाखोर प्रत्याशियों को जूते मारिये, वोट देने की कल्पना भी नहीं करें।
पेट्रोलियम, हथियारों की तस्करी के बाद नशीली पदार्थों से आय का साधन बन गया है। पहले नशे का लत निम्न, मध्य लोगों के बीच प्रचलित थी, लेकिन अब यह हाई सोसाइटी के बीच अपना घर कर गया है।अभी हाल ही में बॉलीवुड से लेकर, उद्योगपति और राजनेता तक इसमें शामिल हैं।बिहार में शराबबंदी सराहनीय कदम है, लेकिन यहां भी अवैध शराब के कारोबार चरम पर है।पुलिस रोकने की प्रयास करती है, तब उसी पर धंधेवाजों द्वारा हमला किया जाता है।कई पंचायत प्रतिनिधि और उनके परिजन जेल की हवा भी खा चुके हैं।
ड्रग वार डिस्टॉर्सन और वर्डोमीटर की रिपोर्ट के अनुसार पूरी दुनिया में मादक पदार्थों का अवैध व्यापार सालाना लगभग 30 लाख करोड़ रुपए का है। वहीं नेशनल ड्रग डिपेंडेंट ट्रीटमेंट (एनडीडीटी), एम्स की वर्ष 2019 की रिपोर्ट बताती है कि अकेले भारत में ही लगभग 16 करोड़ लोग शराब का नशा करते हैं। इसमें बड़ी संख्या महिलाओं की भी है।
रिपोर्ट के अनुसार लगभग 1.5 करोड़ महिलाएं देश में शराब,अफीम और कैनबिस का सेवन करती हैं। रिपोर्ट के आंकड़े बताते हैं कि देश की लगभग 20 प्रतिशत आबादी (10-75 वर्ष के बीच की) विभिन्न प्रकार के नशे की चपेट में है। कुछ रिपोर्ट्स बच्चों के भी बड़ी संख्या में नशे की चपेट में आने की जानकारी देती हैं।
‘ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज स्टडी 2017’ के आंकड़ों के अनुसार दुनिया भर में लगभग 7.5 लाख लोगों की मौत अवैध ड्रग्स की वजह से हुई। इनमें से लगभग 22000 मौतें भारत में हुईं। गंभीर बात यह है कि देश में पारंपरिक नशे जैसे कि तम्बाकू, शराब, अफीम के अलावा सिंथेटिक ड्रग्स स्मैक, हिरोइन, आइस, कोकीन, मारिजुआना आदि का उपयोग तेजी से बढ़ा है। आइये इस रिपोर्ट में जानते हैं देश और दुनिया में नशे के उपयोग और उसके गंभीर परिणामों के बारे में।
यूएन ऑफिस ऑफ ड्रग एंड कंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2016 में पूरी दुनिया भर में सप्लाई होने वाले कुल गांजा का 6 प्रतिशत यानी लगभग 300 टन गांजा अकेले भारत में जब्त किया गया था। यही नहीं 2017 में यह मात्रा बढ़कर 353 टन हो गई। वहीं चरस की यदि बात की जाए तो 2017 में 3.2 टन चरस सीज की गई। नशे के कारोबार का सटीक आंकड़ा तो उपलब्ध नहीं है, लेकिन विभिन्न एजेंसियों से जुड़े अधिकारियों का अनुमान है कि भारत में इसका सालाना अवैध कारोबार लगभग 10 लाख करोड़ रुपए का है।
भारत में ओपिओड का नशे के रूप में इस्तेमाल ग्लोबल और एशियाई औसत से भी काफी ज्यादा है। हालांकि कैनबिस, एटीएस और कोकीन जैसे नशे के उपयोग का चलन यहां कम है।
देश में मुख्यत: एनडीपीसी एक्ट 1985 की विभिन्न धाराओं के तहत कार्रवाई की जाती है। इसमें नशीले पदार्थ का सेवन करना, रखना, बेचना या उसका आयात निर्यात करना या फिर इस कारोबार में किसी की सहायता करना, सभी में गंभीर सजाओं के प्रावधान हैं। जुर्म के हिसाब से इसमें सजाएं तय है। इस कानून के अंतर्गत सरकार विशेष न्यायालयों की स्थापना त्वरित मुकदमा चलाने के लिए कर सकती है और जितने विशेष न्यायालयों की व्यवस्था की जरूरत हो स्थापना कर सकती है। ऐसे अपराध जिनमें तीन वर्ष से अधिक का कारावास होता है, इनका ट्रायल विशेष न्यायालयों में होता है। इस प्रकार के अपराध के आरोपियों को मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जाता है।
नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) गृह मंत्रालय के अधीन काम करने वाली एक एजेंसी है जो ड्रग्स से जुड़े मामलों की जांच करती है। इसका मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय स्तर पर मादक पदार्थों की तस्करी को रोकना है। यह एजेंसी सीमा शुल्क और केंद्रीय उत्पाद शुल्क/जीएसटी, राज्य पुलिस विभाग, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई), केंद्रीय आर्थिक खुफिया ब्यूरो (सीईआईबी) और अन्य राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर की खुफिया एजेंसियों के साथ मिलकर काम करती है। वर्तमान में इस एजेंसी में लगभग 1000 कर्मचारी हैं। इसका काम सीमा शुल्क समन्वय परिषद, इन्टरपोल, यूएनडीसीपी, आईएनसीबी, आरआईएलओ जैसी अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से सम्पर्क बनाना भी है।
14 साल में पांच गुना बढ़ा अफीम का उपयोग
फरवरी 2019 में आई नेशनल ड्रग डिपेंडेंस ट्रीटमेंट (एनडीडीटी) एम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार 2004 से 2018 के बीच देश में अफीम का उपयोग पांच गुना बढ़ चुका है। वहीं रिपोर्ट यह भी बताती है कि देश में 90 लाख महिलाएं शराब, 40 लाख महिलाएं कैनबिस और 20 लाख महिलाएं अफीम का सेवन करती हैं। हर 16 में से एक महिला को शराब की इतनी लत लग चुकी है कि वो शराब के बिना रह नहीं सकती है। वहीं, पुरुषों में ये आंकड़ा 5 में से 1 है।नशे की मुक्ति के लिए एक जनांदोलन की जरूरत है, ताकि देश के लोग सुरक्षित जीवन यापन कर सकें।
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