बेलगाम भ्रष्टाचारी को मिले कड़ी सजा। प्रसिद्ध यादव
बिहार सरकार जितनी जीरो टॉलरेंस भ्रष्टाचार की रट्टा मार रही है, भ्रष्टाचारी उतनी तेजी से भ्रष्टाचार कर रहा है। निगरानी ,ईडी, आयकर लगातार छापेमारी कर रही है, माल बरामद हो रही है, लेकिन भ्रस्टाचारी निर्भीक होकर सरकार को ठेंगा दिखा रही है। अगर चीन , कोरिया आदि जैसे देशों में मौत की सजा मुकर्रर कर दे तब परिणाम सुखद मिलेगा। हर रोज नये नये चेहरे सामने आ रहे हैं।
छपरा जेल सुपरिटेंडेंट के ठिकानों पर विजिलेंस का छापा:सरकारी आवास, पटना के फ्लैट, गया के पुश्तैनी घर पर रेड; आय से 1.21 करोड़ संपत्ति अधिक
आय से 1.21 करोड़ रुपए अधिक संपत्ति का दर्ज हुआ है केस।
छपरा के जेल सुपरिटेंडेंट रामाधार सिंह सरकारी नौकरी में रहते हुए करोड़पति बन गए हैं। आरोप है कि सरकारी पद का दुरुपयोग कर ये भ्रष्टाचार में लिप्त रहे हैं। इस बात के ठोस सबूत निगरानी अन्वेषण ब्यूरो की टीम को मिले। जिसके बाद कल ही यानी गुरुवार को इनके खिलाफ पटना में आय से अधिक संपत्ति का केस दर्ज किया गया।
अब शुक्रवार को निगरानी की टीम ने इनके तीन ठिकानों पर एक साथ छापेमारी कर दी है। गुपचुप तरीके से प्लान वे में निगरानी की अलग-अलग टीम ने आज सुबह 10:30 बजे के बाद छपरा, पटना और गया में एक साथ इस कार्रवाई को शुरू किया।
अलग-अलग टीम कर रही है छापेमारी
इस वक्त डीएसपी सुरेंद्र कुमार महुआर की अगुवाई में एक टीम छपरा में जेल सुपरिटेंडेंट रामाधार सिंह के सरकारी घर और ऑफिस को खंगाल रही है। जबकि, दूसरी टीम पटना में जक्कनपुर थाना के तहत पुरन्दुपुर इलाके के अपार्टमेंट में स्थित फ्लैट और तीसरी टीम गया जिले में स्थित पुश्तैनी घर को खंगाल रही है।
आय से 1.21 करोड़ रुपए से अधिक का काला धन कमाया
निगरानी मुख्यालय के अनुसार जेल सुपरिटेंडेंट के ऊपर सरकारी सैलरी के अलावा, मतलब आय से 1.21 करोड़ रुपए अधिक की काली कमाई करने का गंभीर आरोप लगा है। इनके बारे में काफी शिकायतें थीं। काले कारनामों के बारे में एक के बाद एक कई शिकायत मिलने पर निगरानी की टीम एक्टिव हो गई थी। जिसके बाद इंटरनल तरीके से जांच हुई। सुपरिटेंडेंट पर लगे आरोप की पड़ताल हुई और उस बारे में ठोस सबूत जुटाए गए। जिसके बाद 23 दिसंबर को FIR नंबर 55/2021 दर्ज किया गया। इस मामले में शाम के बाद कुछ बड़ा अपडेट होने की संभावना है।
चीन के कंट्रोल वाली असेट मैनेजमेंट फर्म हुआरोंग के प्रमुख रहे शीर्ष असेट बैंकर लाई शायोमिन (Lai Xyaomin) को हाल में मौत के घाट उतार दिया गया. इससे पहले 8 जनवरी को हू हुआईबेंग (Hu Huaibang) को आजीवन कारावास (Life Imprisonment) की सज़ा सुनाई गई थी. हू चीन विकास बैंक (CDB) के पूर्व चेयरमैन रहे. यह वही बैंक है जो चीन के बेल्ड एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के लिए फंड का सबसे बड़ा स्रोत रहा. खास बात यह है कि ये दोनों ही सज़ाएं भ्रष्टाचार के मामलों में दी गईं. भ्रष्टाचार के लिए मौत की सज़ा (Death for Corruption) देने पर चर्चा के बीच जानिए कि किन देशों में ऐसे प्रावधान हैं और भारत में क्या रुख है. चीन के अलावा सबसे ज़्यादा मौत की सज़ा के मामले जिन देशों में रहे, उनमें इराक, ईरान, इजिप्ट और सऊदी अरब में रहे. इराक में भ्रष्टाचार के मामले में मौत दिए जाने का सबसे बदनाम केस 2010 का था जब अली हसन अल मजीद उर्फ केमिकल अली को मार डज्ञला गया था. केमिकल अली पर कई संगीन आरोपों के साथ ही खुल्लम खुल्ला करप्शन के आरोप प्रमुख थे.
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