भाजपा के हिंदुत्व पर बहुजनों के साथ अन्याय भारी !प्रसिद्ध यादव।
बहुजनों ने ठाना है, अब शासित नही, शासक बनना है।
जपा की राजनीति करने का सबसे आसान तरीका हिंदुत्व को उभारना है। मन्दिर मस्जिद, गाय, गोबर , गंगा, अयोध्या, काशी, मथुरा से आगे सोच ही नही है और इससे आगे सोचने की जरूरत ही नही पड़ती थी। इसी मुद्दे पर बहुजनों झूमने लगते थे और झोली भरकर वोट देते थे, लेकिन समय के साथ बदलाव आया, बहुजन समाज भी पढ़लिखकर अपना हित अनहित समझने लगे। मोदी सरकार निजीकरण कर के कैसे आरक्षण को खत्म करने का प्रयास किया, लोग समझ गये। जातीय जनगणना नहीं करवाने के कौन कौन से बहाने ढूंढे, जगजाहिर हो गया। कैसे पिछले दरवाजे से बिना परीक्षा के संघ के दर्जनों लोगों को आईएएस बना दिया। न्यायालय, विश्विद्यालय, आयोगों में , मीडिया में बहुजन नदारद हैं। आज भाजपा में जो बहुजन जनप्रतिनिधि हैं, वो कहीं न कहीं कुंठित हैं, उनका हाल ग़ुलामों से ज्यादा नही है। बिहार में नीतीश सरकार को ही देख लें। कोई ऐसा दिन नही है जो भाजप के नेता यहां सरकार को उंगली नही दिखाते हैं। केंद्र सरकार अपनी ताक़त से विरोधियों को डराने , धमकाने से बाज नहीं आ रही है, छापेमारी जारी है, लेकिन यह भारत की लोकतंत्र है , वीरों की , स्वाभिमानियों की धरती है। यहां कोई डरने वाले लोग नही है, उल्टे और संघर्ष तेज कर देंगे। इन संघीयों को जवाब पंजाब, बंगाल, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, बिहार के लोगों ने खूब दिया। अब उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा की बारी है, जवाब करारा मिलेगा। युवा रोजगार मांग रहा है, किसान अपने फसल की दुगनी दाम मांग रहा है तो देश के लोग महंगाई से निजात माँग रहे हैं। कोरोना काल में गंगा में बहती लाशों का हिसाब मांग रहे हैं तो उन्नाव, हाथरस की बेटियों के अस्मत लूटने और हत्या का जवाब मांग रहे हैं। संघी , भाजपाई मुँह छुपा रहे हैं, लेकिन जगह कहीं नही मिल रहा है, दलितों के यहाँ खाना खाने का स्वांग रच रही है।
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