विद्वानों की चाटूकारिता की हद है। प्रसिद्ध यादव।
कोई न कोई मालदार पद सरकार शीघ्र ही जनाब को देगी ।याद रखियेगा।
आज एक प्रतिष्ठित अखबार में श्री राम चौलिया जो जिन्दल स्कूल ऑफ इंटरनेशनल अफेयर्स के प्रोफेसर और डीन हैं, उन्होंने मोदी की लोकप्रियता की बड़े बड़े दावे कर रहे हैं, विश्व के सबसे लोकप्रिय नेता मान रहे हैं, इसके तथ्य भी दिया है, दूसरी तरफ स्वीकार्यता 63 फीसदी रह गया है।इन्होंने लिखा है कि मोदी दो दशक से सक्रिय राजनीति में है फिर भी जनता ऊबी नही है।उनका अवतार चौकीदार का है, प्रधान सेवक का है साफ नियत है , प्रेरक अभिभावक का अवतार हैं, खेवनहार हैं, कुशल शासक , जन सामान्य का हृदय सम्राट,अद्वितीय, वाक्पटुता, संवाद करने की कला,शासक अवतार सर ऊंचा रखने वाले हैं आदि अनेक उपमा अलंकारों से कसीदे गढ़े हैं। देश पीएम की लोकप्रियता विश्व में सबसे ऊपर है तो सचमुच गर्व की बात है, लेकिन देश से अरबों खरबों रुपये लेकर विदेश भाग गए,इनके जुमलेबाजी से देश ऊब गया है, कोरोना में बिना ऑक्सीजन के लाखों दम तोड़ दिए, नदियों में लाश तैरती नजर आयी फिर भी प्रधान सेवक, मॉब लीचिंग, लॉक डाउन में हजारों भूखे प्यासे हजारों किमी लोग पैदल चल फिर भी हृदय सम्राट, क्रॉम्पटन फेल जुबान बन्द , लेकिन गजब की वाकपटुता, रेल,प्लेन बीएसएनएल, बैंक बेचने वाले रोजगार छिननेवाले , महंगाई बढ़ाने वाले अद्वितीय तो हैं हीं। बांग्लादेश से भी अर्थव्यवस्था नीचे आ गया,सर ऊंचा तो होगा ही। आलेख लिखते हैं विद्वानों तो केवल कसीदे मत गढ़िए, वास्तविकता को भी रखें। यह सही है कि सरकार की जयकारे लगाने वाले को अखबारों में, चैंनलों में जगह मिलती है, लेकिन हकीकत बयान करने वाले को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है , कोई बात नही। अभी कसीदे पढ़ने का समय नही है, देश की समस्याओं को समाधन करने की जरूरत है।
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