बदले की राजनीति लोकतंत्र के लिए घातक ! प्रसिद्ध यादव।

   


अगर कोई सरकार  प्रतिपक्ष से बदले की भावना से काम करती है तो यह लोकतंत्र के लिए घातक है। अभी जिन राज्यों में चुनाव होने वाले हैं,वहां विपक्ष के यहां, इनके रिश्तेदारों के यहां ईडी, सीबीआई की छापेमारी हो रही है। कार्यपालिका स्वतंत्र रूप से काम करे तो किसी को कोई आपत्ति नही है, लेकिन केवल विरोधियों के यहां करे और सत्तापक्ष को सात खून माफ हो ,यह ग़लत है। विगत साल में पश्चिम बंगाल में चुनाव था, सारे ईडी, सीबीआई वही भाजपा के साथ जमी हुई थी, लगातार छापेमारी हो रही थी, लेकिन  नतीजा क्या हुआ? उप के स्वामी प्रसाद मौर्य भाजपा के मंत्री थे, दूध के धोये थे, जैसे ही सपा में आये दागदार हो गये और छापेमारी शुरूं हो गई। इत्र कारोबारी पियूष जैन के यहां छापेमारी हुई, करोड़ों की हेराफेरी पकड़ी गई, इसके संबंध सपा से बताया गया और भाजपा द्वारा खूब दुष्प्रचार किया गया, लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण ये भाजपा के सहजादे निकले। अब इनकी जमानत मिल जायेगी।पंजाब, छत्तीसगढ़, दिल्ली  में भी विरोधियों के यहां सभी सीबीआई, ईडी से भय खा रहे हैं। जैसे बेईमान देश के क्रिकेट खिलाड़ी में 11 नही 13  खिलाड़ी होते हैं, दोनों अपम्पायर भी खिलाड़ी से बढ़कर काम करते हैं, वैसे ही ये संवैधानिक संस्थाएं बन कर रह गई हैं, जो चिंतनीय है।

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