ठंढ में गरीबों के बचाव के लिए हो व्यवस्था! प्रसिद्ध यादव।

   


ठंढ के सबसे बड़ा कोपभाजन गरीब होते हैं। साधन संपन्न लोगों को इसका एहसास नही होता होगा, क्योंकि उनके घरों में ब्लोवर, छतनुमा मकान ,रजाई, कम्बल , नहाने के लिए गर्म पानी, गीज़र , चलने के लिए चारपहिया वाहन होते हैं, लेकिन जिनके माथे पर छत नही है, तन पर कपड़े नही है, दो जुन के रोटी के लिए ठंढ में भी काम करना विवशता है, वो ठंढ में कैसे रहते हैं? सरकार चौक चौराहे पर शीघ्र अलाव की व्यवस्था करें, जरूरत मन्द को कम्बल बांटने की व्यवस्था करे। सामाजिक कार्यकर्ता और संपन्न लोग अपने हिस्से का थोड़ा सा इन गरीबों के प्रति दिलेरी से दया भाव दिखायें तो बहुत उपकार होगा। कहा गया है परहित सरसि धर्म नहीं भाई। दूसरों के भला से बढ़कर कोई दूसरा धर्म नही है। सुविधाभोगी कम से कम रात में एक बार घर से निकलकर फुटपाथों पर जीवन बसर करने वाले को जरूर देखें, यकीनन नजरिया बदल जायेगा। जीवन में अगर संवेदना नही है तो फिर यह जीवन ही व्यर्थ है।

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