भारत में कितना विचित्र है सर्विसेज भर्ती प्रक्रिया! प्रसिद्ध यादव।
अकल्पनीय, अविश्वसनीय है परंतु सत्य है। यहां आईएस की नियुक्ति लैटरल इंट्री से यानी संयुक्त सचिव के पदाधिकारियों की नियुक्ति केंद्रीय मंत्रालय के अनुशंसा पर होती है।अभी करीब 39 आईएस की नियुक्ति हुई है और अधिकांशतः ब्राह्मण हैं। जजों की नियुक्ति क्लोजिएम सिस्टम से होती है, यानी जजों की टीम अधिवक्ता को अनुशंसा कर दिया वो सीधे जज बन जायेगा। इसमें अभी देश के 265 घरानों कब्जा है। ये जज वर्ग तीन और चार के कर्मचारियों को अपने अनुशंसा पर कर लेते हैं, यानी देश में लाखों स्टाफ इन जजों के चहेते हैं। ग्रुप डी के बहाली के लिए दो दो परीक्षाएं ! यह कितना न्यायसंगत है? अब सवाल है कि आम आदमी कहाँ कुम्भकर्णी नींद में सोया हुआ है? कुछ लोगों को घरी घंट बजाने में मजा आ रहा है। क्या नही लगता है कि देश में एक और आजादी की आंदोलन की जरूरत है? ये चेतना कब जागेगी जब कुर्सी के मोह छूटेगा तब। आजाद देश में आज भी लोग गुलाम की जिंदगी जी रहे हैं तो कोई अतिश्योक्ति नहीं है। अगर विचारों में क्रांति नही आई और घुट घुट कर जीने की आदत पड़ गयी तो यह गुलामी की बेड़ियों सदियों तक रहेगी।
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