अमर जवान ज्योति - इतिहास मिटाकर नया लिखने की भूख ! - प्रसिद्ध यादव।

 

         

   इतिहास बनाने की गजब  भूख ! नाम बदलते बदलते श्रद्धा भी बदलाने लगी।



ऐसे संवेदनशील मुद्दे पर देश के लोगों से न सही अन्य राजनीति दलों से सरकार को राय लेनी चाहिए।केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने अमर जवान ज्योति का राष्ट्रीय युद्ध स्मारक या नेशनल वॉर मेमोरियल की ज्योति में विलय करने का फैसला लिया है. केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद कांग्रेस समेत विपक्ष के तमाम नेताओं और बुद्धिजीवियों के एक वर्ग ने इसे शहीदों का अपमान बताया है. राहुल गांधी ने केंद्र की मोदी सरकार पर हमला करते हुए सोशल मीडिया पर अमर जवान ज्योति को 'बुझाए' जाने का दावा किया है. सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि अमर जवान ज्योति का राष्ट्रीय युद्ध स्मारक यानी नेशनल वॉर मेमोरियल की ज्योति में विलय कर इतिहास को मिटाकर फिर से लिखने की कोशिश की जा रही है. इस विलय को भारत के इतिहास का सबसे दुखद दिन बताया जा रहा है. वहीं, कांग्रेस नेताओं का कहना है कि 2024 में सत्ता में आने के बाद कांग्रेस इन गलतियों को सुधारेगी. हालांकि, केंद्र सरकार ने इसे एक बड़ा फैसला बताते हुए विरोध को गलत बताया है.   दिसंबर 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ था. ये युद्ध 3 से 16 दिसंबर तक चला था. इस युद्ध में पाकिस्तान को घुटने टेकने पड़े थे. हालांकि, इसमें कई भारतीय जवान भी शहीद हुए थे. 
1971 के युद्ध में भारतीय सेना के 3,843 जवान शहीद हुए थे. इन्हीं शहीदों की याद में अमर जवान ज्योति जलाने का फैसला हुआ. 
इसके बाद इंडिया गेट के नीचे एक काले रंग का स्मारक बनाया गया, जिस पर अमर जवान लिखा है. इस पर L1A1 सेल्फ लोडिंग राइफल भी रखी हुई है. इसी राइफल पर एक सैनिक हेलमेट भी लगा है. 
इस स्मारक का उद्घाटन 26 जनवरी 1972 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने किया था. स्मारक में एक ज्योति भी जल रही है.  2006 तक इस ज्योति को जलाने के लिए एलपीजी का इस्तेमाल होता था. लेकिन बाद में इसमें सीएनजी का इस्तेमाल होने लगा.
अब ये ज्योति नेशनल वॉर मेमोरियल में जलाई जाएगी. नेशनल वॉर मेमोरियल इंडिया गेट से 400 मीटर की दूरी पर ही बना है. यहां भी ज्योति जल रही है. ये मेमोरियल 40 एकड़ में बना है. इसकी दीवारों पर शहीद जवानों के नाम लिखे हैं.
इस फैसले पर क्या हैं सेनानायकों की राय?
मोदी सरकार के इस फैसले पर पूर्व सैनिकों की मिलजुली राय है. पूर्व एयर वाइस मार्शल मनमोहन बहादुर ने ट्विटर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टैग करते हुए ये फैसला वापस लेने की अपील की है. उन्होंने लिखा कि इंडिया गेट पर जल रही लौ भारत के मानस का हिस्सा है. आप, मैं और हमारी पीढ़ी वहां हमारे बहादुर जवानों को सलाम करते हुए बड़े हुए हैं. उन्होंने लिखा कि राष्ट्रीय युद्ध स्मारक महान है, वहीं अमर जवान ज्योति अमिट है.
वहीं, लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) विनोद भाटिया ने कहा कि अमर जवान ज्योति को नेशनल वॉर मेमोरिया के साथ मर्ज कर दिया गया है. ये एक अच्छा फैसला है. पूर्व सेना उप प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) जेबीएस यादव ने कहा कि अमर जवान ज्योति और नेशनल वॉर मेमोरियल के मर्जर पर राजनीति नहीं होनी चाहिए. आजकल केंद्र जो भी कर रहा है, उसके राजनीतिक एंगल देने का ट्रेंड चल रहा है.

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