कर्पूरी ठाकुर जैसा होना दुर्लभ ! प्रसिद्ध यादव।
कर्पूरी जी के जन्मदिन और पुण्यतिथि पर सभी दल के नेता अपना आदर्श मानने लगे हैं, भले चाल चलन इनके विपरीत ही क्यों न हो? इनको जीते जी अपमानित करने वाले लोग भी इनके कार्यशैली के मुरीद हो गए हैं। कर्पूरी जी जनप्रतिनिधि का मतलब सेवा समझते थे। आज राजनीति का इतना क्षरण हो गया है की राजनीति किसी ग्लैमर, उद्योग , बाहुबली ,स्टार की तरह देखने लगे हैं। अब निर्धनों, संघर्षशील की जगह लम्पटों, अपराधियों के जमावड़ा हो गया है।राजनेताओं के चरित्र और नैतिक पतन हो गया है। अब ये राज्य ,समाज के प्रति नही परिवार के लिए जवाबदेह बन गए हैं। धन संग्रह की लालसा में कुबेर को पीछे छोड़ दिये।कर्पूरी ठाकुर ने किसानों को राहत देने के लिए मालगुजारी टैक्स को बंद कर दिया। सचिवालय में चतुर्थ श्रेणीकर्मियों के लिए वर्जित लिफ्ट को उनके लिए खोल दिया। गरीबों को नौकरियों में आरक्षण देने के लिए मुंगेरीलाल कमीशन लागू करने पर कर्पूरी ठाकुर को सवर्णों का विरोध झेलना पड़ा। उन्होंने राज्य कर्मचारियों के बीच कम ज्यादा वेतन और हीनभावना को खत्म करने के लिए समान वेतन आयोग लागू कर दिया।
इमानदारी के किस्से आज भी गूंज रहे बिहार के सबसे ताकतवर व्यक्ति होते हुए भी कर्पूरी ठाकुर के पास धन दौलत नहीं थी। उनकी मौत के बाद विरासत में परिवार के लिए वह कुछ भी छोड़कर नहीं गए थे। यहां तक कि एक भी मकान और अन्य जायदाद भी नहीं। कपूरी ठाकुर की इमानदारी के किस्से आज भी बिहार में सुने जा सकते हैं।
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