विद्वानों की धरती के अवलोकन कर अभिभूत हुए - प्रसिद्ध यादव।

 

    




कितना साधारण सा जीवन जीते हैं, यहां के लोग।  नंदलूरु  एक छोटा सा नगर पंचायत है। पूर्व के आलेख में मैं बताया था कि एक यादव की अनाथ बच्ची दूध बेचकर आईएस बनी थी अन्य कई आईपीएस हैं।सुदूर गांव से भारत के आरबीआई के गवर्नर होना  डॉ. यागा वेणुगोपाल रेड्डी, जिन्हें वाई वी रेड्डी नाम से जाना जाता है, (जन्म 17 अगस्त 1941) जो आंध्र प्रदेश कैडर से संबंधित 1964 बैच के सेवानिवृत्त भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी हैं। रेड्डी ने 6 सितंबर 2003 से 5 सितंबर 2008 तक भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) (भारत का केंद्रीय बैंक) के गवर्नर के रूप में कार्य किया था। 2010 में, उन्हें भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान, पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।.
यगा वेणुगोपाल रेड्डी का जन्म 17 अगस्त 1941 को वर्तमान आंध्र प्रदेश , भारत के कडपा जिले के पाटूर गांव में एक तेलुगु परिवार में हुआ था।  यह जानकर मुझे खुशी हुई कि यह धरती सिर्फ अन्न के लिए उर्वरक नही, बल्कि घर घर में यहां सरस्वती वास करती हैं। मैं खुद को यहां रहकर गौरान्वित महसूस किया। पहले यहां आता था तो मन उचट जाता ,मन नही लगता, लेकिन मेरा खोजी स्वभाव अनमोल धरोहर के सानिध्य में पाकर धन्य हो गया।
शिक्षा और सम्मान
रेड्डी ने मद्रास विश्वविद्यालय , भारत से अर्थशास्त्र में एमए और उस्मानिया विश्वविद्यालय , हैदराबाद से पीएचडी की उपाधि प्राप्त की । उन्होंने नीदरलैंड के सामाजिक अध्ययन संस्थान से आर्थिक नियोजन में डिप्लोमा भी किया है ।
रेड्डी को श्री वेंकटेश्वर विश्वविद्यालय , भारत द्वारा डॉक्टर ऑफ लेटर्स ( ऑनोरिस कौसा ) की उपाधि से सम्मानित किया गया ; और मॉरीशस विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टर ऑफ सिविल लॉ (ऑनोरिस कॉसा) । 17 जुलाई 2008 को उन्हें लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स का मानद फेलो बनाया गया । 
वे लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के विजिटिंग फेलो, बिजनेस मैनेजमेंट विभाग, उस्मानिया यूनिवर्सिटी में पूर्णकालिक यूजीसी विजिटिंग प्रोफेसर रहे हैं; पूर्णकालिक विजिटिंग फैकल्टी, एडमिनिस्ट्रेटिव स्टाफ कॉलेज ऑफ इंडिया और हैदराबाद में सेंटर फॉर इकोनॉमिक एंड सोशल स्टडीज में मानद प्रोफेसर बने हुए हैं। रेड्डी भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) मद्रास के प्रतिष्ठित प्रोफेसर भी थे ।  सचमुच कहा गया है कि जहां विद्या का वास हो, वहां आनंद ही आनंद होता है। यहां अभावग्रस्त जीवन में भी विद्या को महत्व दिया जाता है, लेकिन अपने यहां नवधनाढ्य को देखते हैं कि बच्चे पढ़े या नही लेकिन पूरे शरीर पर  स्वर्ण श्रृंगार, चमचमाती चरणपादुका, बॉडीगार्ड..

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