रूस यूक्रेन युद्ध अविलम्ब बन्द हो!/ प्रसिद्ध यादव।
युद्ध का अंतिम परिणाम विनाश ही होता है।रूस की तरफ़ से ये कार्रवाई पुतिन के मिन्स्क शांति समझौते को खत्म करने और यूक्रेन के दो अलगाववादी क्षेत्रों में सेना भेजने की घोषणा के बाद की गई है. रूस की तरफ़ से इन राज्यों में सेना भेजने की वजह 'शांति कायम करना' बताया गया है.
रूस ने हाल के महीनों में यूक्रेन बॉर्डर के पास लगभग 2 लाख सैनिकों को तैनात किया हुआ था, जिसके बाद यूक्रेन पर हमले की अटकलें काफ़ी वक़्त से लगाई जा रही थीं.
हालांकि रूस लगातार इन अटकलों को ख़ारिज करता रहा. अब जब हालात और ख़राब हो चुके हैं और यूक्रेन के कई शहरों पर रूस के हमले की ख़बरें और तस्वीरें आने लगी हैं, तो ऐसे में सब के मन ये सवाल आता है कि आख़िर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन चाहते क्या हैं?
इसे समझने के लिए हमें 8 साल पीछे यानी साल 2014 में चलना होगा. तब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था. उस वक़्त रूस समर्थित विद्रोहियों ने देश के पूर्वी हिस्से में एक अच्छे खासे इलाक़े पर क़ब्ज़ा कर लिया था. उस वक़्त से लेकर आज तक इन विद्रोहियों की यूक्रेन की सेना से भिड़ंत लगातार जारी है. रूस और यूक्रेन के बीच जंग जारी है। दोनों तरफ भारी नुकसान हुआ है। शुरू में लग रहा था कि यूक्रेन कमजोर पड़ रहा है और जल्द घुटने टेक देगा, लेकिन ऐसा नहीं है। यूक्रेन की तरफ से भी रूस को भारी नुकसान पहुंचाने के दावे किए जा रहे हैं। यूक्रेन का तो यहां तक कहना है कि उसने रूस के 3500 सैनिक मार गिराए हैं। ताजा खबर यह है कि रूस ने एक प्रतिनिधिमंडल बेलारूस भेजा है और कहा है कि वह यूक्रेन के साथ शांति वार्ता शुरू करने के लिए तैयार है। हालांकि यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने मास्को के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि रूस, बेलारूस से यूक्रेन पर अपने कुछ हमलों को अंजाम दे रहा है और वह केवल उन्हीं जगहों पर बातचीत के लिए तैयार है जो उसके देश के प्रति आक्रामकता नहीं दिखा रहे हैं। यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की वारसॉ, इस्तांबुल और बाकू में कही भीं वार्ता के लिए तैयार हैं।भारत का रूस और यूक्रेन दोनों के साथ व्यापारिक रिश्ता भी है और भारत के काफ़ी नागरिक इन दोनों देशों में रहते हैं. यूक्रेन में ज़्यादातर लोग पढ़ने जाते हैं. वही रूस में पढ़ाई के साथ-साथ कई भारतीय नौकरी के लिए भी जाते हैं.
दोनों देशों के बीच आपसी तनाव की वजह से ना सिर्फ़ भारतीय नागरिकों को आने वाले दिनों में दिक़्क़तों का सामना करना पड़ सकता है, बल्कि आपके और हमारे घर का बजट तक गड़बड़ा सकता है.रूस और यूक्रेन गेहूं के दुनिया के सबसे बड़े निर्यातकों में से हैं और कई देश (विशेष रूप से यूरोप में) रूसी तेल और गैस पर निर्भर हैं, इसलिए ऊर्जा और खाद्य कीमतों में और वृद्धि जारी रह सकती है. केवल मुद्रास्फीति की दर का बढ़ना ही मायने नहीं रखता, बल्कि लोगों की यह अपेक्षा भी है कि यह और बढ़ेगी.
Comments
Post a Comment