गणतिज्ञ भाष्कर को जानें !/ प्रसिद्ध यादव।

 

        


भास्कर प्रथम का जन्म एक निषाद परिवार में लगभग 600 ईस्वी के आसपास में में हुआ(600 ई – 680 ईसवी) भास्कर प्रथम भारत भारत के सातवीं शताब्दी के गणितज्ञ थे। संभवतः उन्होने ही सबसे पहले संख्याओं को हिन्दू दाशमिक पद्धति में लिखना आरम्भ किया। उन्होने आर्यभट्ट की कृतियों पर टीका लिखी और उसी सन्दर्भ में ज्या य (sin x) का परिमेय मान बताया जो अनन्य एवं अत्यन्त उल्लेखनीय है। आर्यभटीय पर उन्होने सन् ६२९ में आर्यभटीयभाष्य नामक टीका लिखी जो संस्कृत गद्य में लिखी गणित एवं खगोलशास्त्र की प्रथम पुस्तक है। आर्यभट की परिपाटी में ही उन्होने महाभास्करीय एवं लघुभास्करीय नामक दो खगोलशास्त्रीय ग्रंथ भी लिखे। उन्होने अभाज्य संख्या P के लिये संबंध 1+(P-1) दिया जो भाज्य है
मख्यादिरहितं कर्मं वक्ष्यते तत्समासतः।चक्रार्धांशकसमूहाद्विधोध्या ये भुजांशकाः॥१७तच्छेषगुणिता द्विष्टाः शोध्याः खाभ्रेषुखाब्धितः।चतुर्थांशेन शेषस्य द्विष्ठमन्त्य फलं हतम् ॥१८बाहुकोट्योः फलं कृत्स्नं क्रमोत्क्रमगुणस्य वा।लभ्यते चन्द्रतीक्ष्णांश्वोस्ताराणां वापि तत्त्वतः ॥१९
आज विज्ञान दिवस पर हम महान वैज्ञानिक को जरूर जानें और अपनी समृद्ध विरासत को भी पहचानने। आज निषाद के नेता सत्ता के चाटुकार बनकर निषादों को कौन सी भलाई करेंगे? यह देखने वाली बात है।
भाष्कर प्रथम के ही नाम पर हमारे देश के एक सेटेलाइट का नाम पड़ा है।

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