पुरानी पेंशन योजना लागू करे सरकार ! /प्रसिद्ध यादव।

     


 आज कोई 5 सालों के लिए विधायक, सांसद बन जाता है तो उसे ताउम्र पेंशन और अन्य सुविधाएं मिलती रहती है, लेकिन जो कर्मचारी अपने पूरे जीवन के 60 साल तक सेवा दे फिर भी उसके भविष्य को अनिश्चितता की अंधेरे में धकेल देना कहाँ तक न्यायोचित है ? अगर देश की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है तो विधायकों , सांसदों को नई पेंशन योजना क्यों नहीं दिया गया? शायद देश के नीति निर्धारण संसद से होती है, मनमाफिक नियम बना लेते हैं।  तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई की केंद्र  सरकार ने अप्रैल 2005 के बाद के नियुक्तियों के लिए  पुरानी पेंशन  को  बन्द कर दिया था और नई  पेंशन  योजना लागू की गई थी ,   पुरानी पेंशन योजना  में रिटायरमेंट के समय अंतिम बेसिक सैलरी के 50 फीसदी तक निश्चित  पेंशन  मिलती है. NPS में रिटायरमेंट के समय निश्चित पेंशन  की कोई गारंटी नहीं है. - पुरानी पेंशन  योजना में 6 महीने के बाद मिलने वाला महंगाई भत्ता  लागू  होता है. NPS में 6 महीने के बाद मिलने वाला महंगाई भत्ता लागू  नहीं होता है.

देश के कई राज्यों में सरकारी कर्मचारी फिर से पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने के लिए लगातार सरकार पर दवाब बना रहे हैं. यहां तक सड़कों पर भी आंदोलन कर रहे हैं. हाल के दिनों में राजनीतिक गलियारे में भी पुराने पेंशन योजना की चर्चा जोरों पर है. लाखों कर्मचारी आस लगाये हुए हैं कि पुरानी पेंशन योजना फिर से बहाल हो जाये. केवल राज्यों के कर्मचारी ही नहीं केंद्रीय कर्मचारियों को भी इसका इंतजार है.

देश के सांसदों पर देश के खजाने का एक बड़ा हिस्सा खर्च किया जा रहा है. सरकार एक सांसद पर एक साल में लगभग 72 लाख रुपये खर्च कर रही है. यानी 6 लाख रुपये महीना. बीते चार वर्षों में लोकसभा और राज्यसभा के सांसदों पर 15.54 अरब रुपये खर्च किए जा चुके हैं.  सरकार अविलम्ब पुरानी पेंशन योजना लागू करे ताकि कर्मचारियों के बढ़ते असंतोष और आक्रोश शांत हो।

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