गरीबी और अशिक्षा में चोली दामन का संबंध!- प्रसिद्ध यादव।

          यह गंभीर आलेख लिखने की प्रेरणा राजद के प्रदेश महासचिव श्री देवकिशुन ठाकुर जी से मिली। आज मोबाइल पर हुई बातचीत में इन विषयों पर विस्तृत चर्चा हुई थी।


गरीब लोगो को  शिक्षा के प्रति जागरूक करना अति आवश्यक है। जीवन मे सफलता प्राप्त करने के लिए शिक्षित होना ज़रूरी है। आजकल के जीवन मे शिक्षा कितना महत्वपूर्ण हो गया है यह गरीब लोगो को समझना ज़रूरी है।  गरीब बच्चो को शिक्षित करना बेहद आवश्यक है जिससे वह  गरीबी से बाहर निकल सके।-40 वर्ष की आयु समूह के घर से काम करने वाले श्रमिक, स्ट्रीट वेंडर, मिड डे मील श्रमिक, सिर पर बोझ ढोने वाले श्रमिक, ईंट-भट्टा मजदूर, चर्मकार, कचरा उठाने वाले, घरेलू कामगार, धोबी, रिक्शा चालक, भूमिहीन मजदूर, खेतिहर मजदूर, निर्माण मजदूर, बीड़ी मजदूर, हथकरघा मजदूर, चमड़ा मजदूर, ऑडियो-वीडियो श्रमिक तथा इसी तरह के अन्य व्यवसाय के श्रमिक होंगे, जिनकी मासिक आय 15,000 रुपये प्रति महीने या उससे कम है। गरीब परिवार गरीबी को नियति मानकर अपने बच्चों को पढ़ने के उम्र में  कमाने के लिए भेज देते हैं। शहरों के चौक चौराहे पर सुबह- सुबह  दिन भर काम करने के लिए बोली लगाने के लिए खड़े हो जाते हैं, उसमें अधिकांशतः बैरंग घर वापस हो जाते हैं, या फिर कम मजदूरी पर काम करने के लिए विवश हो जाते हैं।। शाम में जो मजदूरी में मिलता है, उसका एक चौथाई पैसे शराब पीने में या अन्य नशे में उड़ा देते हैं और यही जीवन चक्र में पीढ़ी दर पीढ़ी पीस रहे हैं। उत्तर भारत के लोग अब मजदूरी करने के लिए दूसरे राज्यों में पलायन कर जाते हैं, रेलगाड़ियों में जानवरों की तरह ठूंस ठूंस कर जाते हैं। गरीबी हटाने की नारा कई पूर्व पंचवर्षीय योजनाओं में लाया गया था, लेकिन देश की यह भयावह स्थिति घटने के बजाय बढ़ रही है, जो चिंताजनक है।

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