जिसका डर था बेदर्दी, वही बात हो गयी- आनंद बक्शी / प्रसिद्ध यादव।

        


कितना खूबसूरत रचना है, शिकायत भी और तारीफ भी ।दोनो साथ ।ये काम साहित्य के रसधार बहाने वाले ही कर सकते हैं।       फ़िल्म  दो रास्ते (1969) 

 संगीत  लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल

 गीत : आनंद बक्षी

 गायक : मो.रफ़ी, लता मंगेशकर

कलाकार राजेश खन्ना, मुमताज।


छुप गये सारे नज़ारे, ओये क्या बात हो गयी

तूने काजल लगाया, दिन में रात हो गई

मिल गये नैना से नैना, ओये क्या बात हो गयी

दिल ने दिल को पुकारा, मुलाक़ात हो गयी


कल नहीं आना, मुझे ना बुलाना

कि मारेगा ताना ज़माना

तेरे होठों पे रात ये बहाना था

गोरी तुझको तो आज नहीं आना था

तू चली आई दुहाई, ओये क्या बात हो गयी

मैंने छोड़ा ज़माना, तेरे साथ हो गयी

तूने काजल लगाया...


अम्बवा की डाली पे गाए मतवाली

कोयलिया काली निराली

सावन आने का कुछ मतलब होगा

बादल छाने का कोई सबब होगा

रिमझिम छाए घटाएँ, ओये क्या बात हो गयी

तेरी चुनरी लहराई, बरसात हो गयी

दिल ने दिल को...


छोड़ ना बैयाँ, पडूँ तेरे पईयां

तारों की छैय्याँ में सईयाँ

इक वो दिन था मिलाती ना थी तू अँखियाँ

इक ये दिन तू जागे सारी-सारी रतियाँ

बन गयी गोरी चकोरी, ओये क्या बात हो गयी

जिसका डर था बेदर्दी, वही बात हो गयी

छुप गये सारे नज़ारे...

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