पैसे के आगे रिश्ते- नाते भी शर्मशार हो रहे हैं- नाटक अनाथ।/प्रसिद्ध यादव।
फुलवारी शरीफ। गुरु रविन्द्र नाथ टैगोर की कहानी आज भी कैसे हकीकत बन कर हमारे सामने आती है यह फुलवारी शरीफ के शाहीन इंटरनेशनल स्कूल के कला मंच नाटक देख रहे लोगों के मन में उभरा, जब नाटक अनाथ के कलाकारों ने उसे जीवंत किया। पैसे के आगे रिश्ते -नाते भी शर्मशार हो रहे हैं। खगौल की चर्चित नाट्य संस्था सूत्रधार द्वारा सोमवार को स्थानीय शाहीन इंटरनेशनल स्कूल के उद्घाटन समारोह में रविंद्र नाथ टैगोर की मूल कहानी एवं नुपुर चक्रवर्ती द्वारा नाट्य रूपांतरण एवं नीरज कुमार द्वारा निर्देशित नाटक "अनाथ" की प्रस्तुति हुई। नाटक की कहानी समसायिक है। पारिवारिक एवं सामाजिक दृष्टिकोण से ये कहानी अति दुर्लभ रचना है। जयगोपाल, अपने शादी के बाद ससुर के कहने के बाद ससुराल में हीं बस जाता है, उसके ससुर और सास मरने से पहले अपनी बेटी के गोद में नीलमणि को देते हैं, और उसके बाद अच्छी परवरिश का वचन अपनी बेटी शशिकला, और दामाद जयगोपाल से लेते हैं। नीलमणि धीरे-धीरे बड़ा होता है। शशिकला भाई के परवरिश में पति को प्यार देना भूलने लगती है। जयगोपाल के मन में लालच भरा है। वह चाहता है कि नीलमणि को मार कर सारा धन-दौलत अपने नाम कर ले। उसकी पत्नी शशिकला को अपने पति के नापाक इरादे का पता चलता है, वो भाई के रक्षा के लिए मजिस्ट्रेट के शरण में जाती है। जयगोपाल अपने साले को कई बार मारने की कोशिश भी करता है, लेकिन वो नाकामयाब रहता है। शशिकला अपने भाई के रक्षा के लिए अपने पति के द्वारा मारी जाती है। अंत में नीलमणि बड़ा होकर अपनी दीदी की मौत का बदला लेता है। कलाकारों में शशि भूषण कुमार, निशा कुमारी रत्नेश कुमार ,नीरज कुमार ,दीपक कुमार, तनु कुमारी अनिकेत,आर्यन कुमार शामिल थे। कसा हुआ निर्देशन दृश्य संयोजन नाटक की अच्छी गति संवाद बेबाक अभिनय से सजा नाटक प्रभाव छोड़ने में सफल रहा। नाटक के पूर्व समारोह का उद्घाटन नगर परिषद के अध्यक्ष मो आफताब आलम के कर कमलों द्वारा किया गया। अपने सम्बोधन में उन्होंने कहा कि रविन्द्र नाथ टैगोर के पात्र आज भी जिंदा हैं । इस अवसर पर सामाजिक कार्यकर्ता अशोक कुमार,अलाउद्दीन सहित काफी संख्या में बुद्धिजीवी,रंगकर्मी,पत्रकार, अभिभावक एवं छात्र छात्राएं मौजूद थी।
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