टीवी चैनलों की मनगढ़ंत खबरों पर लगाम लगे।/प्रसिद्ध यादव।
टीवी चैनलों की खबरों की हेड लाईन ऐसी बन रही है, जिसे न्यूज़ से कोई मेल नहीं खाता है। टीआरपी के चक्कड़ में ब्रेकिंग न्यूज़, बिग ब्रेकिंग न्यूज़, एक्सक्लुसिव खबरें, सनसनी खेज खबरें आदि से दर्शकों के दिलों दिमाग में तूफान खड़ा कर दिया है, भय पैदा कर दिया है। एंकर इतना चिल्ला के बोलता है कि जैसे फ़िल्म शोले के विलयन गब्बर सिंह बोल रहा है। महंगाई, बेरोजगारी, निजीकरण, बिगड़ती अर्थव्यवस्था, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे गंभीर और जनहित मुद्दे पर डिबेट नही होती है। संबंधित मंत्रालय की नींद अब खुली है।सवाल है कि ऐसे टीवी चैनलों को विज्ञापन कौन देता है? जो अधिक से अधिक ऐसे चैनलों को विज्ञापन देता है, वो फर्जी उन्मादी खबरों को बढ़ावा देता है। सरकारी विज्ञापन भी करोड़ो के मिलते हैं।आखिर क्यों? सरकार ने हाल में नॉर्थ-वेस्ट दिल्ली की घटनाओं पर कई टीवी चैनलों की रिपोर्ट में दिखाई गई हेडलाइंस को भड़काऊ करार दिया है। हिंसा के कई वीडियो दिखाए गए जिससे सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगड़ सकता है और शांति भंग होने के साथ ही कानून-व्यवस्था खराब हो सकती है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने कहा है कि जांच प्रक्रिया में बाधा पहुंचाते हुए बिना पुष्टि के सीसीटीवी फुटेज दिखाए गए। एक विशिष्ट समुदाय की फुटेज दिखाकर सांप्रदायिक तनाव को बढ़ाया गया।दो महीने से आप भी टीवी चैनलों पर रूस-यूक्रेन युद्ध की रिपोर्टिंग देख रहे होंगे। 'यूक्रेन में एटमी हड़कंप... परमाणु पुतिन से परेशान जेलेंस्की... यूक्रेन से पुतिन का परमाणु प्लान तैयार?' ऐसी न्यूज रिपोर्ट से आपके मन में भी बेचैनी बढ़ गई होगी। कम से कम चैनलों को देखकर लगने लगा कि बस विश्वयुद्ध शुरू होने वाला है। रिपोर्टरों ने युद्ध के मैदान में उतरकर भारतीय दर्शकों को पल-पल का अपडेट दिया। पिछले दिनों एक वीडियो भी वायरल हुआ जिसमें रिपोर्टर उछल-उछल कर रिपोर्टिंग करती दिखाई देती है। चैनलों पर वॉर रिपोर्टिंग खूब देखी गई लेकिन अब भारत सरकार ने सैटेलाइट टीवी चैनलों को एडवाइजरी जारी कर रूस-यूक्रेन संघर्ष, नॉर्थ-वेस्ट दिल्ली की घटनाओं पर रिपोर्टिंग और कुछ न्यूज डिबेट पर कड़ा ऐतराज जताया है। आज सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की ओर से जारी एडवाइजरी में हेडिंग की लिस्ट सामने रखते हुए कई टीवी चैनलों की कवरेज पर सवाल उठाए गए हैं। सरकार ने कई टीवी रिपोर्ट को प्रमाणित नहीं माना, भ्रमित करने वाली रिपोर्ट बताया और सामाजिक रूप से अस्वीकार्य भाषा और टिप्पणियों के इस्तेमाल की बात कही। ऐसी आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग किया गया जो प्रोग्राम कोड का सीधे-सीधे उल्लंघन है।
सरकार ने केबल नियमों का हवाला देते हुए टीवी चैनलों से साफ कहा है कि कोई भी ऐसा कार्यक्रम प्रसारित नहीं होना चाहिए जिसमें मित्र देशों की आलोचना की गई हो। दरअसल, यूक्रेन पर रूस के हमले को लेकर भारत ने शांति की बात तो की है, लेकिन रूस की आलोचना नहीं की है। संयुक्त राष्ट्र में रूस के खिलाफ वोटिंग से भी भारत अनुपस्थित रहा।
मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि रूस-यूक्रेन संघर्ष पर की गई रिपोर्टिंग में झूठे दावे किए गए और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों का गलत हवाला दिया गया। ऐसी हेडलाइंस लगाई गईं जिसका न्यूज से कोई लेना-देना नहीं था। इन चैनलों के कई पत्रकारों और न्यूज ऐंकरों ने दर्शकों को उकसाने के इरादे से मनगढ़ंत और अतिशयोक्तिपूर्ण बयान दिए।
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