मोबाईल से अब दिलों में घंटी बजती है।/प्रसिद्ध यादव।

      


अब शादी में अगुआ की जगह ले रहा है। जाति, धर्म,भाषा, क्षेत्र सब ध्वस्त हो रहा है बशर्ते कि मोबाईल से दिल की घंटी बजना शुरू हो जाये,चैटिंग हो जाये और फेसबुक पर मनचले फ्रेंड बन जाये। आज के व्यस्तम जीवन में न अगुआ मिलते हैं न खबरों के विज्ञापनों का असर पड़ रहा है।  दहेजमुक्त शादी भी हो रही है। 1973 में मार्टिन कपूर मोबाईल का अविष्कार मोर्टेला कंपनी के साथ मिलकर किया था।उस समय मोबाईल का वजन दो किलो था।  मार्टिन कूपर मोबाइल फ़ोन की बहुआयामी सफलता से अभिभूत हो कर कहते हैं, "हमने कभी ये सोचा भी नहीं था कि आज मोबाइल फ़ोन इतना उपयोगी हो जाएगा कि उस पर फ़ेसबुक, ट्विटर और कई दूसरी तरह की एप्लिकेशन्स भी चलेंगे."    प्रेम कहानी दो साल पहले शुरू हुई। शहर के रामगढ़ मोहल्ले के रंजय कुमार की आंखें दो साल पहले कड़ौना गांव की उषा कुमारी से चार हुईं। धीरे-धीरे उनकी नजदीकियां बढ़ने लगी। मोबाइल पर उनकी बातचीत होने लगी। साथ जीने-मरने की कसमें खाई जाने लगी। प्यार परवान चढा तो दोनों ने शादी करने का फैसला कर लिया। इसकी जानकारी घर वालों को दी। लेकिन लड़की के परिवार वाले अड़ंगा बन गए। वे शादी के लिए तैयार नहीं हुए। इसके बाद बुधवार को रंजय और उषा ने भाग कर शादी करने का निर्णय लिया। दोनों कोर्ट मैरेज करने के ख्याल से बुधवार को घर से भाग गए।

इस बीच लड़की को घर में न पाकर परिवार वाले इधर-उधर खोजने लगे। तभी पता चला कि रंजय और उषा दोनो स्टेशन परिसर स्थित बराह भगवान के मंदिर में शादी करने पहुंचे है। जानकारी मिलते ही लड़का और लड़की के परिवारवाले भी वहां पहुंच गए। काफी देर तक दोनों के बीच मान-मनौव्‍वल का दौर चला। पहले गुस्‍सा हुआ। तनातनी हुई लेकिन बाद में स्‍वजन तैयार हो गए। इसके बाद दोनों की शादी मंदिर में कराई गई। शादी के बाद नवविवा‍हित जोड़ेे को आशीर्वाद दिया। यह शादी देखने को लेकर मंदिर में लोगो की भीड़ लगी रही। शादी के बाद उषा अपने पति रंजय के साथ ससुराल चली गई। 


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