नीतिपूर्ण कार्य सुखद होता है।/प्रसिद्ध यादव।
अनैतिकता के सहारे पल भर के लिए कोई किसी को दबा सकता है, लेकिन नीतिपरक, धैर्यपूर्वक किया गया काम सफल होतासरदार पटेल की महानतम देन थी 562 छोटी-बड़ी रियासतों का भारतीय संघ में विलीनीकरण करके भारतीय एकता का निर्माण करना। न एक कतरा खून बहा, न कोई युद्ध हुआ क्योंकि विधिसम्मत ,नीतिपूर्ण कार्य था। बड़े बड़े रियासत और जमींदार चुटकी भर में खत्म हो गया, क्योंकि अनैतिकता थी। हालाँकि रियाजत वाले दांव पेंच कम नहीं लगाए, लेकिन उल्टे भारी पड़ गया।
महाभारत युद्ध को भारत की भूमि कुरुक्षेत्र में लड़ा गया था। कौरवों और पांडवों की सेना भी कुल 18 अक्षोहिनी सेना थी जिनमें कौरवों की 11 और पांडवों की 7 अक्षौहिणी सेना थी। एक अक्षौहिणी में 21870 हाथी, 21870 रथ, 65610 घोड़े और 109350 पैदल होते थे। इस युद्ध के प्रमुख सूत्रधार भी 18 थे। इस युद्ध में कुल 18 योद्धा ही जीवित बचे थे।
महाभारत के युद्ध के पश्चात कौरवों की तरफ से 3 और पांडवों की तरफ से 15 यानी कुल 18 योद्धा ही जीवित बचे थे।
पांडव पक्ष के योद्धा : पांडव पक्ष के विराट और विराट के पुत्र उत्तर, शंख और श्वेत, सात्यकि के दस पुत्र, अर्जुन पुत्र इरावान, द्रुपद, द्रौपदी के पांच पुत्र, धृष्टद्युम्न, शिखंडी आदि नहीं बचे थे। इस युद्ध में शक्ति परीक्षण हुआ, नतीजा सर्वनाश हुआ।हमें इतिहास से सबक लेना चाहिए।
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