बिहार के सरकारी मेडिकल कालेज के 79 सीटें खाली रह गयीं/प्रसिद्ध यादव।
ये कैसी विडंबना है कि बिहार चिकित्सक की कमी से जूझ रहा है, लोग पढ़ना भी चाह रहे हैं, लेकिन ऊंची फीस कहें या गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की कमी जिसके कारण मेडिकल के सीट खाली रह गए। बिहार में आबादी के अनुपात में 65 हजार डॉक्टरों की जरूरत है. इतनी संख्या में सरकारी अस्पतालों और निजी क्षेत्र में डॉक्टर उपलब्ध हों तो नागरिकों को स्वास्थ्य सुविधा मुहैया हाे सकती है.
लेकिन, वर्तमान में सरकारी अस्पतालों में कार्यरत कुल चिकित्सकों की संख्या जोड़ ली जाये तो यह साढ़े छह हजार है. इसी तरह से निजी क्षेत्र में अधिकतम 20 हजार लोग सेवा क्षेत्र में हैं. इंडियन पब्लिक हेल्थ स्टैंडर्ड के अनुसार अस्पतालों की संख्या और डॉक्टरों की संख्या में भारी इजाफा करने की जरूरत है. मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के मानकों का पालन किया जाये तो प्रति 1681 व्यक्ति पर एक चिकित्सक की आवश्यकता होती है.
इस मानक के अनुसार राज्य की करीब 11 करोड़ की आबादी के मानक के अनुसार 65 हजार 437 डॉक्टरों की आवश्यकता है. इस संख्या के अनुपात में बिहार मेडिकल रजिस्ट्रेशन काउंसिल में निबंधित डॉक्टरों की संख्या 55 हजार के करीब है. बिहार मेडिकल रजिस्ट्रेशन काउंसिल में निबंधित चिकित्सकों की संख्या करीब 55 हजार के करीब हैं. इसमें वैसे चिकित्सकों का भी निबंधन है जिनकी मृत्यु हो चुकी है.
यूक्रेन में रूस के हमले के बाद पहली बार देश में पता चला कि भारत से हजारों स्टूडेंट मेडिकल की डिग्री हासिल करने वहां जाते हैं। इस मुद्दे को लेकर बिहार विधानसभा में विपक्ष ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से सीधे-सीधे सवाल पूछे थे। इस पर सीएम ने इसे केंद्र सरकार पर टाल दिया था। हालांकि स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने आश्वासन दिया है कि राज्य सरकार हर संभव प्रयास करेगी कि बिहार के छात्रों को मेडिकल की डिग्री के लिए विदेश ना जा पड़े। मेडिकल की सीटें बढ़ाने की हो रही डिमांड के बीच बिहार से एक ऐसा आंकड़ा सामने आया है जो चौंकाने वाला है। बिहार के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में 85 प्रतिशत सीटों पर सेकेंड राउंड एडमिशन के बाद भी 79 सीटें खाली रही गई हैं। यह पहला मौका है जब बिहार के सभी सरकारी 11 मेडिकल कॉलेजों में सीटें खाली रह गई हैं। इतना ही नहीं प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों की 446 सीटें भी खाली हैं। यानी अपने बिहार में मेडिकल की 525 सीटें खाली हैं, लेकिन यहां के छात्र रूस, यूक्रेन, चीन जैसे देशों में लाखों रुपये खर्च कर मेडिकल की डिग्री लेने जाते हैं। सरकार को अविलम्ब नियमावली में संशोधन कर सीटों को फूल करना चाहिए और गरीब मेधावी छात्रों की मौका देना चाहिए
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