राष्ट्रीय सम्पति को नुकसान पहुंचाने वाले पर कठोर कार्यवाई हो ! /प्रसिद्ध यादव।
अग्निपथ के विरोध के नाम पर जिसतरह राष्ट्रीय सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाया गया है, वो किसी भी सूरत में क्षम्य नहीं है।जिसे राष्ट्रीय संपदा का ज्ञान नहीं है, वो क्या खाक देश के सैनिक बनेंगे? सरकार की किसी भी नीति का अगर विरोध किया जाना है तो उसके लिए लोकतांत्रिक तरीके हैं ,इससे भी सरकार को ध्यान आकृष्ट किया जा सकता है। युवा शक्ति का मतलब राष्ट्रीय सम्पति में आग लगाना नहीं है ,बल्कि राष्ट्र और राष्ट्रीय सम्पति की रक्षा करना है। अनेक सरकारी कर्मचारियों को सरकार के नीतियों के विरुद्ध आवाज भूख हड़ताल, काली पट्टी बांधकर काम करते हुए करते हैं, इससे सरकार की नजर भी पड़ती है और कोई नुकसान भी नहीं होता है। जब हम अपने ही देश में उग्रवादियों की तरह व्यवहार करने लगेंगे तब फिर हममे और उग्रवादियों में क्या फर्क रह जायेगा ? अगर फर्क खत्म हो गया तो सजा भी वही मिलनी चाहिए।बीते चार दिनों में बिहार में 60 ट्रेन की बोगियों के साथ 11 इंजन को प्रदर्शनकारियों ने आग के हवाले कर दिया है. अब तक 700 करोड़ की संपत्ति बर्बाद की जा चुकी है. राज्य के 15 जिलों में हिंसक प्रदर्शन की चपेट में हैं. वहीं रेलवे की ओर से जानकारी दी गई है कि शनिवार को भी 13 ट्रेनों को कैंसिल कर दिया गया है. अग्निपथ योजना के खिलाफ प्रदर्शन बिहार से लेकर यूपी, हरियाणा और तेलंगाना तक जारी है. एक नट बोल्ट बनाने की क्षमता नहीं है और बिना सोचे समझे ट्रेनों में, स्टेशनों में, बस में आग लगा देना पागलपन ही है। प्रशासन की सुस्ती भी उपद्रवियों के मनोबल को बढ़ाया है।अगर प्रशासन चुस्त दुरुस्त होती तो मजाल नहीं था कि ऐसी विभत्स घटना घटती।स्थानीय प्रशासन को उपद्रवियों की पहचान कर सख्त कार्यवाही करने की जरूरत है।
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