कमर तोड़ महंगाई में 'म' को याद करे सरकार ! /प्रसिद्ध यादव।
यह कमरतोड़ महंगाई कहाँ से आई? सरकार में आने से पूर्व भाजपा नेता बड़े बड़े अर्थशास्त्री बनकर कर महंगाई को छू मंतर में खत्म करने की अद्भुत ज्ञान देते थे, लेकिन सत्ता में आते ही देश को महंगाई सहित अन्य समस्याओं में डाल दी है।खत्म होते रोजगार के अवसर में महंगाई कटे पर नमक छिड़कने का काम कर रही है। देश में विदेशी मुद्रा भंडार कम हुआ है, लोगों की क्रयशक्ति घट रही है, मुद्रा का अवमूल्यन हो रहा है।इसके बाद भी महंगाई में दिनरात बढ़ोतरी समझ से परे है। जो कांग्रेस को कहती थी कि इससे मुंह से महंगाई के 'म' शब्द नहीं निकली आज वही निर्लज्ज की तरह महंगाई बढ़ाये जा रहा है और डिंग हांक रहा है।पहले से ही महंगाई से जूझ रहे लोगों पर कीमतों का बोझ और बढ़ने वाला है। जीएसटी काउंसिल की चंडीगढ़ में चल रही बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसले लिये जा रहे हैं। कई वस्तुओं पर जीएसटी दरों में बदलाव की घोषणा हुई है और कुछ पर चर्चा चल रही है। जीएसटी काउंसिल की बैठक का बुधवार को दूसरा दिन है। बैठक के पहले दिन मंगलवार को दही, पनीर, शहद, मांस और मछली जैसे डिब्बा बंद और लेबल-युक्त या ब्रांडेड चीजों पर जीएसटी लगाने का फैसला हुआ है। इससे अब इन वस्तुओं के लिए ग्राहकों को अधिक रकम चुकानी होगी। इसके अलावा अब होटल में रुकना, बैकिंग और एजुकेशन में भी जीएसटी की महंगाई देखने को मिलेगी। जीएसटी की बैठक में राज्यों के वित्त मंत्री भी मौजूद थे। इस बैठक में इन वित्त मंत्रियों की अधिकतर सिफारिशों को स्वीकार किया गया है।
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