आम के लिए माँ की हत्या/प्रसिद्ध यादव।

  


यह हृदय को झझकोरने एवम मानवता को शर्मसार करने वाली घटना है।

ऐसी घटना इक्कीसवीं सदी की है, यकीन नहीं होता है। आदिकाल में भी ऐसी घटना नहीं होती होगी। पशु पक्षी भी जन्म देने वाली माँ की हत्या कर सकते हैं।यह घटना बिहार  गोपालगंज जिला के कुचायकोट थाना के सिरसिया गांव की जहाँ दो भाई आम के बंटवारे के लिए आपस में लड़ रहे थे।माँ के सामने उसके बेटे कट मर जाये,ऐसी कोई माँ नहीं चाहेगी।माँ दोनो बेटे के बीचबचाव करने चली गई।बड़ा बेटा  रामशंकर मिश्र आव देखा न ताव कुकर के ढक्कन से माँ के सर पर मार दिया। माँ गिर गई और अपने बेटा के हाथों मारी गई।माँ की ममता की अपनी जान देकर भी अपने दोनों बेटे को आपस में मरने कटने नहीं दी। आदमी को इतना गुस्सा भी आना ठीक नहीं है।गुस्सा में लोग अपना आपा खो देते हैं अर्थात उस समय वो पागल हो जाता है और पागलपन कुछ भी कर जाता है।आदमी को घटना घटित होने के बाद पछतावा होता है लेकिन फिर क्या फायदा होगा। जिस आम के लिए खून बहा वो आम वही रह गया, कोई खाने वाला नहीं रहा।ऐसा क्रोध सर्वनाश ही करता है।ऐसे क्रोध से बचना चाहिए।

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