देश के 15 वां राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु ! /प्रसिद्ध यादव।

 



प्रधानमंत्री कब बनेगा अंतिम पायदान के लोग? पूछता है भारत।
देश के 15 वां राष्ट्रपति का चुनाव सम्पन्न हुआ और परिणाम भी घोषित हुआ। देश की पहली अनुसूचित जनजाति की महिला,आजाद भारत में जन्म हुई और सबसे कम उम्र की राष्ट्रपति निर्वाचित हुईं। अम्बेडकर का यही सपना था लेकिन राष्ट्रपति का अधिकार विशेष परिस्थितियों में मालूम होता है । सामान्य परिस्थितियों में प्रधानमंत्री ही देश को चलाते हैं। देश को जब अंतिम पायदान के लोग प्रधानमंत्री पद पर काबिज हो जाएगा,उस  दिन सचमुच लोकतंत्र अंगड़ाई लेगा। कमजोर वर्ग के भी राष्ट्रपति बने ।क्या अपनी मर्जी से एक भी राज्य का किसी को राज्यपाल बना पाए?नहीं।प्रधानमंत्री जिसकी नाम की सिफारिश करते हैं राष्ट्रपति उसी पर मुहर लगाते हैं। देश के चाहे पक्ष हो या विपक्ष किसी में यह ताकत नही है कि किसी भी अत्यंत कमजोर वर्ग को प्रधानमंत्री के उम्मीदवार घोषित कर दे। आइए जानते हैं, राष्ट्रपति के कार्य, अधिकार और शक्तियों के बारे में.
सर्वोच्च सेनापति होते हैं राष्ट्रपति
देश के संविधान के मुताबिक, लोकतंत्र के तीन मजबूत स्तंभ होते हैं- कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका. संघ की कार्यपालिका की शक्ति राष्ट्रपति में निहित है. वे केंद्रीय मंत्रिमंडल के जरिये अपनी इस शक्ति का इस्तेमाल कर सकते हैं. राष्ट्रपति देश की नौसेना  थल सेना  और वायु सेना  के सर्वोच्च सेनापति होते हैं.

इनकी नियुक्ति का अधिकार राष्ट्रपति के पास है

भारत के प्रधानमंत्री और उनके सलाहकार
सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस
राज्यों के राज्यपालों की नियुक्ति ,सभी चुनाव आयुक्त ,भारत के नियंत्रण एवं महालेखा परीक्षक ,विदेशों में भारतीय राजदूतों की भी नियुक्ति
राजनीतिक शक्ति: राष्ट्रपति लोकसभा में ​एंग्लो इंडियन समुदाय के दो व्यक्तियों को मनोनीत कर सकते हैं. राज्यसभा में कला, साहित्य, पत्रकारिता, विज्ञान, आदि में पर्याप्त अनुभव रखने वाले 12 सदस्यों को भी वे मनोनीत कर सकते हैं. दूसरे देशों के साथ कोई संधि या समझौता किया जा रहा है तो यहां राष्ट्रपति का हस्ताक्षर जरूरी होता है.

अध्यादेश जारी करने का अधिकार: जब संसद के दोनों सदनों में सत्र नहीं चल रहा होता, उस समय संविधान के अनुच्छेद 123 के मुताबिक, राष्ट्रपति नया अध्यादेश जारी कर सकते हैं. संसद सत्र के शुरू होने के 6 हफ्ते तक इसका प्रभाव रहता है.

फांसी से क्षमादान की शक्ति: संविधान के अनुच्छेद 72 के अनुसार, राष्ट्रपति किसी भी व्यक्ति को क्षमा कर उसे पूर्ण दंड से बचा सकते हैं या फिर उसकी सजा कम करवा सकते हैं. हालांकि एक बार यदि उन्होंने क्षमा याचिका रद्द कर दी तो फिर दुबारा याचिका दायर नहीं की जा सकती. फांसी की सजा पाने वाले कई अपराधियों की क्षमा याचिका राष्ट्रपति तक पहुंचती है. हालांकि इस पर फैसला लेना उनका अधिकार है.

आपातकाल लगाने की शक्ति:देश में आपातकाल  की घोषणा का अधिकार सिर्फ राष्ट्रपति के पास ही होता है. इसमें 3 तरह की इमरजेंसी शामिल होती हैं. पहला, युद्ध या सशस्त्र विद्रोह के दौरान, दूसरा राज्यों के संवैधानिक तंत्र के फेल होने पर और तीसरा वित्तीय आपातकाल. बता दें कि 1962 में भारत चीन युद्ध, 1971 में भारत पाकिस्तान युद्ध और फिर 1975 में इंटरनल एग्रेशन के दौरान देश में इमरजेंसी लगाई गई थी.
कानून बनाने की शक्ति:संसद के दोनों सदनों, लोकसभा और राज्यसभा में कोई बिल जब पेश किया जाता है तो वहां से पास होने के बाद राष्ट्रपति की स्वीकृति जरूरी होती है. इसके बिना कोई भी विधेयक कानून नहीं बन सकता. धन विधेयक हो, किसी नए राज्य का निर्माण, सीमांकन हो या भूमि अधिग्रहण के संबंध में कोई विधेयक, राष्ट्रपति की सिफारिश के बगैर संसद में प्रस्तुत नहीं किया जा सकता.आशा है कि नवनिर्वाचित राष्ट्रपति निर्भीकता से अपना निर्णय लेगी।

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