वेलकम टू माई न्यू हसबैंड पतिवीर ! /प्रसिद्ध यादव।

 


जैसे कोई पुरानी गाड़ी बेचकर नई गाड़ी खरीदता है और दोस्तों को बड़े गर्व से कहता है ' ये है मेरी पसंद की नई गाड़ी" और मेकेनिकल इंजीनियर की तरह सैंकड़ों फीचर गुण बताने लगता है।यहां तक तो लोग झेल लेता है क्योंकि इसमें बताने वाले का हया लज्जा की कोई बात नहीं है।अब बदलते युग में कुछ औरतें पति छोड़कर नया पति खोज रही है और मिलने पर अपनी मित्रों से स्वाभिमान से कहती है "ये मेरे नये हसबैंड हैं। अभी बिहार में एक पति पत्नी को दारोगा बनाने के लिए तन मन धन सब लगा दिया।पत्नी दारोगा बन गई।जब पति पत्नी से मिलने ट्रेनिंग सेंटर में गया तो पत्नी पहचानने से इनकार ही नही की, बल्कि पति भी नहीं मान रही है।बेचारे का रो रो कर बुरा हाल हो गया।ऐसा भी होता है क्या? होता नही जनाब हो रहा है।पत्नी अब पति को कॉन्टेक्ट वाली नॉकरी की तरह कॉन्टेक्ट वाला पति समझ रही है। अब आने वाले समय में कोर्ट का शपथ पत्र देना होगा कि स्थाई पति है कि अस्थायी? कुछ तो सखियों की पति को हड़प ले रही हैं तो कुछ अंतरंग गुल खिलाकर सहेलियों की जीवन में तूफ़ान ला रही हैं। अब बहुत पैसे वाले हैंडसम लुक वाले पति को पत्नी सहेलियां परिचय करवाने से डरती है और अगर मिलवाती हैं तो सरहद की तरह चौकसी रखती है। अमूनन चार साल वाले में पति को छोड़ने वाली पत्नी पतिवीर कहती है। अब कोई पत्नी अपने पति को वीर कहती है तो पति को संदेह होने लगता है कि कहीं पत्नी पथ पर चलते पतिवीर न बना दे। भले समाज में लोग नारी को अबला कह दे,लेकिन अब ये सबला है।अभी तक किसी पति को कहते नही सुना है कि वेलकम टू माइ न्यू वाइफ! अगर कोई कह दे तो वो जगह रणभूमि में बदलने में देर न लगेगी।अभी तो इक्कीसवीं सदी है भाई!22 वी सदी में क्या होगा?जाने उस सदी के लोग,लेकिन रेलवे की एक स्लोगन हर सदी के लोग याद रखे-सावधानी हटी,दुर्घटना घटी।


नोट-ये कहानी कुछ लोग द्वारा आपबीती बताई गई पर है।

इसमें किसी पर कोई व्यक्तिगत टिप्पणी नही है।

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