तेरे इश्क़ में दिल दिया था, अब जान दे रहा हूँ- विशाल! /प्रसिद्ध यादव।



     


जमाना भी क्या याद करेगी ,तेरी वेवफाई 

तू नागिन बनकर डंस ली मेरी तरुणाई।

रहना खुश!तुझे चाहने वाले कम न होंगे ।

तेरी हुस्न पर मर मिटने वाले कम न होंगे।

विशाल जैसा कोई शायद जान हथेली पर न लिए होगें।

 इश्क  नहीं  आसां , बस इतना  तो  समझ  लीजे,

एक  आग  का  दरिया  है , और  डूब  के  जाना  है ..

मासूम  सी  मोहब्बत  का  बस  इतना  सा   फ़साना  है 

कागज  की  हवेली  है , बारिश  का  ज़माना  है 

क्या  शर्त-ए-मोहब्बत  है , क्या  शर्त-ए-ज़माना  है  

आवाज़  भी  जख्मी  है  और  गीत  भी  गाना  है 

उस  पार  उतरने  की  उम्मीद  बहुत  कम  है 

कश्ती  भी  पुरानी  है , तूफ़ान  भी  आना  है 

समझे  या  न  समझे  वो  अंदाज़ -ए -मोहब्बत  को,

इक शख्श को आँखों  से , कुछ  शेर  सुनाना  है 

भोली  सी  अदा कोई, फिर  इश्क  की  जिद  पर  है 

फिर  आग  का  दरिया  है  और  डूब  ही  जाना है..

    तीस वर्षीय विशाल मन और शरीर दोनों से काफ़ी मजबूत था।सुंदर बोल्ड पर्सनालिटी ,गोर चेहरे पर दाढ़ी ,बाईक के शौकीन, कोई भीड़ में भी इसे पहचान सकता था। खगौल में जब भी हमलोगों का प्रोग्राम होता,विशाल वहां जरूर आता और कार्यक्रम को प्रमुखता से अपने अखबार हिंदुस्तान, राष्ट्रीय सहारा में स्थान देता।वंदना खगौल के चर्चित नेता मनोज महतो की पत्नी थी,जिसकी हत्या करीब दो  साल पहले हुई थी।इसके बाद ये जदयू की नेत्री बन गई और दल में ये अपनी हैसियत रखती थी।विशाल इसी नेत्री के घर में किराएदार था,जो गाड़ीखाना खगौल में है।विशाल वंदना से शादी कर लिया था लेकिन अब वंदना चाहती थी कि विशाल उसके जीवन से निकल जाये, लेकिन विशाल को यह मंजूर नहीं था। वंदना विशाल को आत्महत्या के लिए हमेशा उकसाती थी। विशाल अपने सुसाइट नोट में लिखा है कि -वंदना मोबाईल से विशाल को कहती है कि मेरी लायसेंसी पिस्टल तेरे रूम में छोड़ साई हूँ, तुममे हिम्मत है तो गोली मार लो ।मैं अपनी मायके आकर तेरी मौत की ख़बर देखने के लिए टीवी के सामने बैठी हूँ। विशाल इतना सुनते ही एक सुसाइड नोट मेल किया और अपनी बहन को व्हाट्सएप किया। विशाल ने वंदना पर अपने पति की हत्या का भी आरोप लगाया है। इसके फ्लैश बैक में बता दें कि वंदना के पति  मनीज महतो सुर्खियों में तब आया जब अपने घर में ही रायफल से चर्चित लखनिबीघा के पुनीत गोप और फूडी गोप को गोली मारकर हत्या कर दिया था।   गाड़ीखाना मुहल्ला एक समय अपराधियों की तूती बोलती थी ।यहाँ आधा दर्जन से ऊपर अपराधियों की हत्या हुई है। बिल्लू पासवान,हुल्लड़ पासवान जैसे लोग थे।इस मुहल्ले में लोग जाना नही चाहते थे।एक पत्रकार होने के नाते मैं किसी भी घटना को अनेक पहलुओं से देखता हूँ और मुझे लगता है कि इसे उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए।ये आत्महत्या हत्या भी हो सकती है।

Comments

Popular posts from this blog

डीडीयू रेल मंडल में प्रमोशन में भ्रष्टाचार में संलिप्त दो अधिकारी सहित 17 लोको पायलट गिरफ्तार !

जमालुद्दीन चक के पूर्व मुखिया उदय शंकर यादव नहीं रहे !

यूपीएससी में डायरेक्ट लेटरल एंट्री से बहाली !आरक्षण खत्म ! अब कौन धर्म खतरे में है !