विदुर व चाणक्य जैसे हो राजनीति सलाहकार !/प्रसिद्ध यादव।
किसी भी राजनेता को अपना राजनीतिक सलाहकार ऐसा रखें जो भविष्य दृष्टा हो,रचनात्मक दृष्टिकोण रखता हो,स्पष्टवादी और सही को सही और गलत को गलत कहने की क्षमता रखता हो।लेकिन आज स्थिति इसके उलट हो गया है।चापलूस, चाटुकार लोग राजनीति सलाहकार बन बैठे हैं।नतीजा राजनेताओं की नैया डुबोने में कोई कसर नहीं रह जाता है। भ्रष्टाचार के दलदल में ऐसे फंस जाते हैं कि वहां से निकलना नामुमकिन हो जाता है और जीवन नारकीय बन जाता है।ऐसे सलाहकार मृदुभाषी, कपटी होते हैं जो राजनेताओं के आर में अपना भी स्वार्थ सिद्धि करता है। राजनेताओं को हमेशा याद रखना चाहिए कि उनकी निष्ठा जनता के प्रति हो न कि परिवार के प्रति।
इस नीति में विदुर की ओर से बताए गए राजा और प्रजा के दायित्वों की विधिवत नीति की व्याख्या है. कहा जाता है कि विदुर-नीति वास्तव में महाभारत युद्ध से पूर्व युद्ध के परिणाम के प्रति शंकित हस्तिनापुर के महाराज धृतराष्ट्र के साथ उनका संवाद है. विदुर नीति जीवन-युद्ध की नीति ही नहीं, जीवन-प्रेम, जीवन-व्यवहार की नीति के रूप में अपना विशेष स्थान रखती है. इसमें राज्य-व्यवस्था, व्यवहार और दिशा निर्देशक सिद्धांत आदि का सार है. सीधे शब्दों में कहा जाए तो इसमें जीवन जीने के तरीकों के बारे में बताया गया है.
चाणक्य नीति एक नीतिशास्त्र है, जिसे नीति ग्रन्थ माना जाता है. इसमें सूत्रात्मक शैली में जीवन को सुखमय एवं सफल बनाने के लिए उपयोगी सुझाव दिए गए हैं. इसका मुख्य विषय मानव मात्र को जीवन के प्रत्येक पहलू की व्यावहारिक शिक्षा देना है. इसमें मुख्य रूप से धर्म, संस्कृति, न्याय, शांति, सुशिक्षा, मानव जीवन की प्रगति के को लेकर बातें कही गई हैं. इस ग्रंथ में जीवन-सिद्धान्त और जीवन-व्यवहार तथा आदर्श और यथार्थ का बड़ा सुन्दर समन्वय देखने को मिलता है. जो नीतियां के विरुद्ध और नियत में खोट रखे उसे सर्वनाश होने से कोई नहीं बचा सकता है।
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