एंजल! तेरे लिए कौन कैंडल जलाएगा!😢 /प्रसिद्ध यादव।
एंजल !एंजल! दहाड़ मारती विकलांग माँ, जिसके आंखों के सामने आवारा कुत्ते नोच डाला।विकलांग होते हुए भी अपनी बच्ची को बचाने के लिए कुत्तों से जूझती रही। माँ भी लहूलुहान हो गई ! कुछ मजदूर कुत्ते पर डंडे चलाए तब कुत्ते भागे।बदहवास माँ इकलौती बेटी को अस्पताल ले गई, लेकिन बेटी नही बच पाई। माँ सुबह उठकर बच्ची को मोहल्ले की दुकान से बिस्किट दिलाने गई थी, ताकि बच्ची खाकर ठीक से रहे और वे मुहल्ले के घरों में बर्तन बासन कर घर चलाये।पति प्रवासी मजदूर बनकर कौड़ी कौड़ी जोड़ने गया था।गरीबों की जिंदगी कितना कष्टकर होता है कि छोटा सा परिवार भी साथ साथ नही रह सकते हैं। गरीबों की जिंदगी को राह चलते कुत्ते भी खत्म कर सकते हैं। कहने के लिए मानव चांद पर चला गया लेकिन ये विकास की लकीर भी कुछ चंद लोगों तक ही है । एंजिल कोई बड़े घराने की बेटी नही है, ना ही कोई राजघराने की या कोई सेलिब्रिटी है ,जिसके मौत की अफसोस पर बड़े बड़े लोग मातम मनाने जाये। ऐसे ऐसे लाखों एंजिल असमय मौत मारी जाए तो इस निष्ठुर समाज में क्या फर्क पड़ता है ? आज तो लोग नोएडा के ट्विन टावर के विध्वंस देखने में लोगो को मजा आ रहा है। इसके जगह पर कब्र में पांव लटके कोई राजनेता, अभिनेता, उद्योगपति मर जाये तो मातमपुर्सी करने वाले कि तांता लग जाती है। आखिर दोगली मानसिकता वाले से कोई अपेक्षा करना भी बेवकूफी ही है। इसपर नगर निगम वाले पर भी कुछ कार्यवाई होगी ? नही लगता है।मृत बच्ची की मां शिवशंकर पथ मोहल्ले में किराये के मकान में रहती है। वह लोगों के घरों में काम कर गुजर-बसर करती है। उसका पति आनंद महतो कोलकाता में काम करता है। ये लोग मूलरूप से सकरा थान अंतर्गत बाजितपुर सुंदरपुर के रहने वाले हैं। एंजल इनकी इकलौत संतान थी। इलाज करने वाले चिकित्सक ने बताया कि कुत्तों ने बच्ची को बुरी तरह से नोच दिया था। उसके शरीर पर करीब एक दर्जन जख्म थे। किसी ने ठीक ही कहा है कि गरीब असमय मरने के लिए ही पैदा होता है।
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