महात्मा बुद्ध के विचार सार्वभौमिक सत्य है प्रसिद्ध यादव

 

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दुनिया के कोई लाख ग्रन्थ पढ़ ले,सत्यसंग सुन ले,धार्मिक स्थलों का भ्रमण कर ले,योग तप या कोई विधि विधान, कर्मकांड कर ले ,लेकिन महात्मा बुद्ध के उपदेशों, विचारों को नही जाना,आत्मसात नही किया तो सब व्यर्थ है। आज दुनिया के अनेक देश बुद्ध के विचारों के अनुयायी है,लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण जहाँ इन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ बोधगया में,जहां घुमघुमकर उपदेश देते रहे ,जहां निवारण हुआ कुशीनगर इनके विचारों से दूर हो गया और ढोंग,पाखंड का वर्चस्व हो गया।अज्ञानतावश हम भी भेंड़ चाल की तरह चल रहे हैं। कोल कल्पित कहानियों ,कथाओं को सत्य मानकर सर पटक रहे हैं।बाबा साहेब अंबेडकर बौद्ध धर्म अपनाकर वंचितों को ढोंग से दूर रहने की मिसाल कायम किया था लेकिन आज सबसे ज्यादा वंचित वर्ग ही कोई चमत्कार के चक्कड़ में अपना सर्वस्व लुटा रहा है।जाने कुछ बुद्ध के उपदेशों को -
  1 दूसरों का बुरा न करें- अपनी प्राण-रक्षा के लिए भी जान-बूझकर किसी प्राणी का वध न करें। जहां मन हिंसा से मुड़ता है, वहां दुःख अवश्य ही शांत हो जाता है।
2. सत्य के बारे में- 3 चीजें ज्यादा देर तक छुपी नहीं रह सकतीं, वे हैं- सूर्य, चंद्रमा और सत्य। जिस तरह सूर्य रोज प्रत्यक्ष दिखाई देता है, चंद्रमा भी दिखाई देता हैं उसी तरह सत्य कभी न कभी सामने आ ही जाता है। अत: असत्य को अपने आचरण में ना उतारें, उससे दूर रहने में ही मनुष्य की भलाई है। 
3. जीवन का उद्देश्‍य सही रखें- जीवन में किसी उद्देश्य या लक्ष्य तक पहुंचने से ज्यादा महत्वपूर्ण उस यात्रा को अच्छे से संपन्न करना होता है।   
4. प्रेम का मार्ग अपनाएं- बुराई से बुराई कभी खत्म नहीं होती। घृणा को तो केवल प्रेम द्वारा ही समाप्त किया जा सकता है, यह एक अटूट सत्य है।   
5. खुद जैसा औरों को समझना- जैसे मैं हूं, वैसे ही वे हैं, और 'जैसे वे हैं, वैसा ही मैं हूं। इस प्रकार सबको अपने जैसा समझकर न किसी को मारें, न मारने को प्रेरित करें।
अहिंसा धर्म का पालन करें।

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