भाजपा नफरत फैलाने वाले नेताओं पर लगाम लगाए!/प्रसिद्ध यादव।
जब देश मे या राज्य में दल की सरकार होती है तो सरकार की ये जिम्मेवारी होती है कि वे सब का खयाल रखें, लेकिन भाजपा के कुछ नेता मंत्री के वक्तव्यों को आय दिन देखें तो नफरत फैलाने वाले बयान देते रहते हैं। देश अटल युग भी देखा है और आज भी देख रहा है।जमीन आसमान का अंतर हो गया। ऐसे नेताओं को लगता है कि हिन्दू हिन्दू रटने से सब हिन्दू इनके झांसे में आ जाएंगे ,लेकिन इसका असर उल्टा हो रहा है।भाजपा के कुछ अच्छे कार्य भी ऐसे लोगों के कारण बलि का बकरा हो गया।हालाँकि भाजपा आईटी सेल अब इसे गंभीरता से ले रही है, ये अच्छी बात है। भाजपा को ऐसे मंत्रियों ,नेताओं को बाहर की रास्ते दिखाना चाहिए। नफरत की बुनियाद पर ऐसे लोग राष्ट्रभक्ति के ठेका ले रखा है। ऐसा करने वाले को भारत विभाजन के समय की भीषण दंगे की विभीषिका को याद करना चाहिए। नफरत फैलाना आसान है लेकिन इसके बाद आग लगने पर नियंत्रण करना कितना कठिन होता है।ऐसे हालात में निर्देश को भुक्तभोगी होना पड़ता है। सत्ता के लिए नफरत जरूरी है क्या? नफरती लोग की एक रंग,एक जयघोष खूब प्रचल में है। इसे देखते ही सहज पहचान हो जाती है कि ये नफरती गैंग के है। किसी धर्म के प्रति आस्था दिखावे या किसी को उकसाने के लिए नही है, ये तो अतन्हप्रक्षित करने का है। ऐसे लोगों को न अपने पास आने दें,न इसके संगति में जाएं। नूपुर शर्मा और नवीन पर भाजपा कार्यवाही की है।भाजपा के करीब करीब 5,200 बयान गैर-जरूरी पाए गए। 2,700 बयानों के शब्दों को संवेदनशील पाया गया। 38 नेताओं के बयानों को धार्मिक मान्यताओं को आहत करने वाली कैटेगरी में रखा गया।
ये हैं भाजपा के नफरत फैलाने वाले नेता -
अनंत कुमार हेगड़े, शोभा करंदलाजे, गिरिराज सिंह, तथागत राय, प्रताप सिम्हा, विनय कटियार, महेश शर्मा, टी. राजा सिंह, विक्रम सिंह सैनी, साक्षी महाराज, संगीत सोम ये सभी लोगों को बयां को देखेंगे तो लगेगा कि कहीं से चरस अफीम खाकर बोला है।ऐसे लोगों के विरुद्ध न्यायालय को भी स्वतः संज्ञान लेना चाहिए।
Comments
Post a Comment