बनारस के वीर पहलवान बचऊ यादव!/प्रसिद्ध यादव।
बीएचयू की स्थापना में सीरगोवर्धन के बचाऊ बीर यादव (बचऊ पहलवान) का भी अहम योगदान रहा है। भले ही इस वीर की उतनी वर्णन नही होता है, लेकिन बनारस की एक एक कण इनकी कर्जदार है। बनारस बाबा विश्वनाथ के लिए प्रसिद्ध है तो बचाऊ यादव की कर्मभूमि के लिए जाना जाता है।बनारस के पान, पांडा से ज्यादा फ़क्र इस वीर पर है।कहा जाता है कि गांवों में आतंक मचा रहे शेर से वह अकेले ही भीड़ गए थे और उसे मारकर कंधे पर रखकर पूरे गांव में घुमाया था। बीएचयू की बाउंड्री वाल बनाते समय दबंगों से हुए विवाद में उन्होंने महामना की जान बचाई थी, हालांकि इसमें उनकी जान चली गई थी।
शेर को मारकर कंधे पर घुमाया
- मिर्जापुर से आए एक शेर का कई गांव में आतंक था।
- अधिकारियों ने सर्च ऑपरेशन चलाया, लेकिन वह पकड़ में नहीं आया।
- इस बीच बचऊ पहलवान को सूचना मिली कि शेर गांव के खेत में छुपा है।
- बचऊ पहलवान अकेले ही शेर से भिड़ गए।
- पुलिस और अधिकारियों के सामने ही उन्होंने खेत में घुसे शेर को पटक कर मार दिया।
- वह आधे घंटे से ज्यादा समय तक शेर को अपनी भुजाओं मं दबोचे हुए थे।
- शेर के मरने के बाद उसे कंधे पर रखकर पूरे गांव में घुमाया था।
महामना की जान बचाने में हुई हत्या
- बीएचयू की बाउंड्री बनते समय आस-पास के दबंग इसका विरोध कर रहे थे।
- महामना और दबंगों का कई बार विवाद हो चुका था।
- एक बार कुछ दबंगों ने वर्तमान हैलीपैड के पास महामना और बचऊ को घेर लिया था।
- बचऊ ने महामना को बग्घी से वापस भेज दिया और 20 से ऊपर दबंगों से अकेले भिड़ गए।
- इसमें दबंगों ने गंडासे और बल्लम से उनपर प्रहार किया और उनकी मौत हो गई।
- हत्या के 6 साल बाद रिद्धि और सिद्धि नाम के दो लोगों को फांसी की सजा हुई।
मिसाल थी दोस्ती बचऊ में बने अखाड़े में एक्सरसाइज करने जाते थे। उनकी बहादुरी की कहानी सुनकर महामना खुद उनसे मुलाकात करने उनके घर पहुंचे थे। इसके बाद महामना अपनी बग्घी पर हमेशा दोस्त और बॉडीगार्ड की तरह उन्हें साथ रखते थे। अब बीएचयू के ठीक पीछे शहीद स्थली और बचऊ बीर बाबा का मंदिर है। कंप्यूटर साइंस बिल्डिंग के पास वह अखाड़ा आज भी मौजूद है, जहां वह वर्जिश किया करते थे।
जहां हत्या हुई वह जगह बना शहीद स्थल बचऊ को शहीदों की तरह शव यात्रा निकाल कर श्रद्धांजलि दी गई। जहां उनकी हत्या हुई थी, वहां शहीद स्थली के साथ उनका मंदिर बनवा दिया। उनकी याद में बीएचयू में अखाड़े को आज भी वैसे ही रखा गया है।ऐसे वीर को कोटि कोटि नमन!
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