गंगा ज्ञान की गंगा तक!-प्रसिद्ध यादव।
पावन गंगा राजगीर गया होते महात्मा बुद्ध की ज्ञान प्राप्ति की स्थल बोधगया तक पहुंच गई है।ये तीनो पर्यटक स्थल है, जहां लाखों पर्यटक हर साल घूमने आते हैं। दक्षिण बिहार के ये स्थले सुखाड़ से प्रभावित थे, पीने के शुद्ध पानी का अभाव था।इसके विपरीत गंगा की पानी से उत्तर बिहार बरसात के दिनों में बाढ़ की कहर बरपाती थी। गंगा के जल को सुखाड़ वाले क्षेत्रों में लाकर एकसाथ बाढ़ और सुखाड़ दोनों पर नियंत्रण करने का अनूठा प्रयास किया है। बिहार सरकार ने मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट 'हर घर गंगाजल' के द्वारा बिहार के लाखों निवासियों और राज्य के पर्यटकों के चेहरों पर खुशी लाएगा। इस कार्य के लिए सीएम के साथ-साथ जल संसाधन विकास मंत्री और इंजीनियरिंग की दिग्गज कंपनी मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड की भी सराहना होनी चाहिए।
जिन क्षेत्रों में गंगा की धारा नहीं पहुँचती है उन क्षेत्रों में पानी की अनुपलब्धता के कारण साल भर गंभीर पेयजल समस्या का सामना करना पड़ता है। इस समस्या को दूर करने के लिए एक दुर्लभ अवधारणा और भारत में अपनी तरह की पहली परियोजना शुरू की गई, जहां मानसून के दौरान अतिरिक्त नदी के पानी को जलाशयों में संग्रहित किया जाएगा और बाद में 365 दिनों तक लोगों को पीने योग्य पानी की आपूर्ति की जाएगी। दोनों शहरों में लोगों और पर्यटकों के घरों में आपूर्ति करने से पहले संग्रहीत पानी को संसाधित किया जाएगा और मानव उपभोग के लिए सुरक्षित बनाया जायेगा।सीएम की दृष्टि और दूरदर्शिता और उनके विभाग के दृढ़ संकल्प ने रिकॉर्ड समय में इस अनूठी जल प्रबंधन पहल को निष्पादित करना संभव बना दिया है.
परियोजना का पहला चरण, जो अब पूरी तरह से तैयार है, पौराणिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व वाले तीन शहरों में शुरू किया जा रहा है. उनके पास बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं, जिसके परिणामस्वरूप शुद्ध पानी की उच्च मांग होती है. परियोजना पहले चरण में राजगीर, गया और बोधगया शहरों में संग्रहित पानी की आपूर्ति करके इस मांग को पूरा करेगी.
इस परियोजना के महत्व का अनुमान इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि दिसंबर 2019 में बोधगया में एक विशेष कैबिनेट बैठक बुलाई गई थी, जिसमें मुख्यमंत्री ने इन ऐतिहासिक शहरों में गंगा जल लाने के अपने संकल्प की घोषणा की थी।
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