कथा वाचक प्रशांत किशोर की मनगढ़ंत कथा !-प्रसिद्ध यादव।
पीके यानी प्रशांत किशोर सीएम पीएम बनाते बनाते अब खुद दिवास्वप्न देखने लगे।ये अच्छी बात है लेकिन दिग्भ्रमित करने वाली झूठी कथा न कहकर देश राज्य की वास्तविक स्वरूप को बताना चाहिए। इनकी कथा कथानक नाई को बनाया गया है ताकि लगे कि पिछड़े अतिपिछड़े लोग नीतीश लालू के खिलाफ हो गए । जनसुराज यात्रा इसतरह कहानी कहते हैं।
" एक नाई मुझसे मिलने के लिए बेचैन था ।वह मुझे मिला ।जब मैं पूछा कि लालू और नीतीश के राजपथ में क्या अंतर है?नाई बोला -हुजूर ! लालू राज में जनता को अपराधी हजामत बनाता था,गोली पिस्टल चलता था लेकिन नीतीश राज में ऑफ़सर जनता को हजामत बना रहा है ।फर्क है कि यहां गोली के बदले कलम चल रही है। एक हजाम की इतनी सी बात लालू नीतीश राज को जानने के लिए काफी है।
प्रशांत किशोर को नोटबन्दी ,कोरोना में क्रूरतम लौकडॉन की कोई कथा नही सुनाई पड़ी। नोटबन्दी और लौकडॉन कि लाखों अमानवीय कहानियां हैं, सच्ची घटनाएं हैं लेकिन ये कथा याद नहीं है क्योंकि वे सत्ता पक्ष के एजेंट जो ठहरे।मुंशी प्रेमचंद के कहानियों को देखें कैसे गरीबों, लाचारों,किसानों ,ऊंच नीच के भेदभाव, समाज में व्याप्त कुरीतियों को अपने कलम से चित्रण किया था, दुष्यंत कुमार कैसे जनता की दर्द को बयां करते थे लेकिन ये सब अतीत में हो गया।अब जनता को दिग्भ्रमित करने वाली कथाएं प्रचलित हैं, जिसे सावधान रहने की जरूरत है।
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