क्यों जलते हो लालू के लाल से पीके?-प्रसिद्ध यादव।

  


प्रशांत किशोर सुराज यात्रा में  सिर्फ और सिर्फ लालू यादव बातें कर रहे हैं और उसका कोट की हुई बातें गूगल पर लाखों रुपये के विज्ञापन से हर कार्यक्रम में वायरल हो रहा है। इनके वक्तव्य - लालू यादव गरीबों वंचितों को जगाया इसके लिए बधाई के पात्र हैं, लेकिन शिक्षा और जमीन का वितरण नही किया ।ये लालू यादव के साथ आवाज मिलाकर जिंदाबाद कर सकते हैं लेकिन लालू यादव के बेटे की बराबरी नही कर सकते हैं और नहीं बैठ सकते हैं।

इस कटेशन का मतलब गूढ़ रहस्यों को समझने की जरूरत है।पीके लालू यादव के समर्थकों के बीच इनकी तारीफ पहले करते हैं उसके बाद इन पर दोष मढ़ते हैं।यानी जनता तक इनकी बातें सही तरीके से सम्प्रेषण हो जाये।इनकी बातें लोगों की जुबान पर आ जाये। पीके अमित शाह के बेटे से तुलना नहीं कर रहा है ना ही अडानी अम्बानी का नाम ले रहे हैं और तो और केंद्र सरकार के खिलाफ कोई मुद्दे नहीं है। लालू यादव के जनाधार को कैसे अपने ओर खींच लिया जाए इसी फार्मूले पर काम कर रहे हैं।राजद में विद्वान प्रवक्ताओं की कमी नही है लेकिन पता नहीं किस मुद्दे पर बोलते हैं।अभी हाल ही में राजद एक प्रोफेसर राजबली सिंह को एमएलसी बनाया और इसके बदले में इन्होंने अपने नेता तेजस्वी यादव के खिलाफ स्ट्रिंग में ऐसा बोल गए जो विरोधी भी अरोप नहीं लगा सका। लाभ के पद पर कार्यरत लोगों को ही एमएलसी बनाना उचित नहीं लगता है चाहे वो पेंशनर ही क्यों न हो। पीके जैसे लोगों को कुछ कहने का मौका न दें।

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