एक अध्यात्म पुरूष श्री कृष्णा यादव जी का अवसान !😢- प्रसिद्ध यादव।

  


मेरे गांव  बाबूचक के श्री भैया का आज देहावसान हो गया। ये आध्यात्मिक, सत्यसंगी और उच्च विचार के थे। कभी किसी से कोई झगड़ा तकरार नही किये ।ये पाखंड,अंधविश्वास, मूर्ति पूजा के सख्त विरोधी थे। प्रायः हर साल गाँव में सत्यसंग करवाते थे।ये सतपाल महाराज के शिष्य और हंस परम्परा के मानने वाले थे।  मुगलसराय से रेलवे से रिटायर के बाद गाँव में रहने लगे तब इन्हें जाना और पहचाना था।इनसे जब भी मुलाकात होती ,इनके मुख से सत्यसंग की बात होती थी। अनेक दृष्टांतों से किसी बात को समझाने में निपुण थे।मानव उत्थान, चरित्र निर्माण पर खूब जोर देते थे। नशाखोर से वे सख़्त नफ़रत करते थे। इनके जाने के बाद लगा मानो एक युग का अवसान हो गया।मुझे वे बहुत प्यार देते थे। अतिथियों की सेवा सत्कार में इन्हें आनंद मिलता था। विशाल काय सर पर पगड़ी ललाट पर टीका इनका व्यक्तित्व आकर्षित करता था।इनकी ओज वाणी ,कुशल वक्ता के साथ सभी के दुख सुख में शामिल होते थे। कई बार हमलोग किसी की आखिरी मंजिल में मिलते तो ये कबीर की साखियों से समझाते थे -  झड़ झड़ बरसे आग गगन से तो गुरुदेव ही बचाये । कहन सुनन नही एक है, तू सुनल बात पतिआये, हम अँखियों से देखन आये।  रहना नहीं देश वीराना है।यह संसार कागद की पुड़िया बून्द पड़े गल जाना है।यह संसार झार और झाँखर आग लगे जल जाना है। आज खुद पंचतत्व में विलीन हो गये।आपकी कमी खल रही है और भरपाई असम्भव है।

पुण्य आत्मा को चिर शांति मिले!!😢

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