दिल ढूंढता है ... धर्मेंद्र गुप्ता जी को 😢-प्रसिद्ध यादव।
खगौल जयराम बाजार में एक खिचड़ी परोस के दुकानदार खैनी वाले के बगल में धर्मेंद्र गुप्ता जी दुकान चलाते थे। कई दिनों से आते जाते उनको दुकान में झांकते, लेकिन कभी उनकी बेटी और आज उनकी पत्नी को बैठी हुई देखा ।मन में शंका हुआ फिर उनकी मांग सुनी देखा तो लगा कि कुछ अनहोनी जरूर हुई है लेकिन मैं उनकी पत्नी या बेटी को कभी देखा नही था। भारी मन से पड़ोसी खैनी दुकानदार से गुप्ता जी के बारे में पूछा तो बोले कि वे ऊपर चले गए।मैं सत्र रह गया।कब ? वे बोले 8 दिसंबर को। फिर मैं उस दुकान में गया और उस दुकान में काम करने वाले से पूछा तो बोला कि हार्ट अटैक हो गया, एम्स पटना में आखरी सांसे ली। वो पत्नी मुझे देख रही थी लेकिन मैं ज्यादा बात कुरेद कर तकलीफ देना नही चाहते थे। इनके दुकान पर कभी भी जाते तो बिना चाय पिलाये कभी नहीं लौटाते।इस बीच बहुत अंदरूनी बातें करते।ये काफी पुजारी थे और हम नास्तिक आदमी इन बातों में दिलचस्पी नहीं लेते थे। पारिवारिक कलह से परेशान थे और दुकान के सामने की जमीन में मुकदमा चल रहा था। गांधी विद्यालय रोड में रहते थे। दोनो के एक दूसरे के घर आने जाने का हसरतें अधूरी रह गई। कुछ समय बिताए लोगों के एकाएक चले जाने की ख़बर मुझे विचलित कर जाता है।
पुण्य आत्मा को शांति मिले !!😢
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