कमाऊ बेटे की भिखारी माँ ! -प्रसिद्ध यादव।

   


 किस काम की पढ़ाई ! किस काम के बेटे ! जब बूढ़ी माँ मांगे भीख !

लानत है दारोगा होने पर! छी! छी!! छी !!!😢

इतना भी शिक्षित मत बन जाओ की बृद्ध बेसहारा ,विधवा माँ को अनाथ की तरह गांव में भीख मांगकर गुजरना पड़े।

जो बेटा दारोगा है वो जनता की क्या सेवा करता होगा,जो अपनी मां को तिल तिल मरने के लिए छोड़ दिया। 

जिन बेटों को जिगर का टुकड़ा समझकर मां ने प्यार से पाला, उन्हीं बेटों ने बुढ़ापे में अपनी मां को भूखे मरने के लिए छोड़ दिया। दो बेटों को पढ़ा-लिखाकर पैर पर खड़ा करने वाली दारोगा की मां आज भीख मांगने को मजबूर है। इस कड़ाके की सर्दी में वृद्धा को ठुठरते देख हर किसी के आंखों में आंसू हैं।

'बाबू, बड़ा बेटा दारोगा है और छोटा बेटा बाहर अच्छा कमा लेता है। यहां गांव में आलीशान घर भी बना रखा है। दोनों बेटे अपने-अपने घरों में ताला बंद कर कई महीने से गांव नहीं आ रहे हैं। खोना-खुराकी भी नहीं देते हैं, इसीलिए गांव में भीख मांग कर भोजन कर रही हूं।' यह कहती हुए छौड़ाही प्रखंड क्षेत्र की ऐजनी पंचायत के वार्ड नंबर चार निवासी स्व. राजबल्लभ सिंह की 85 साल की पत्नी ज्ञानवती देवी फफक कर रो पड़ीं।

वृद्धा का कोई देखरेख करने वाला नहीं है। ऐसे में कई महीने से गांव वाले इनके खाना और कपड़ा आदि की व्यवस्था कर रहे हैं। आखिर गांव वाले भी कितने दिन भरण पोषण करेंगे। भीषण शीतलहर में वृद्धा को थरथराते देख गांव वाले प्रशासन से मदद की गुहार लगा रहे हैं।

ऐसे बुद्धिजीवियों के हरक़त से  समाज सोचने के लिए मजबूर है कि आगे और कितने बुरे दिन आने वाले हैं ये ऊपर वाले ही जाने।


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