सुप्रीम कोर्ट नफरती न्यूज़ के खिलाफ सख्त ! !-प्रसिद्ध यादव।
केंद्रीय सूचना आयोग दिल्ली में प्रसिद्ध कुमार बनाम सूचना प्रसारण मंत्रालय नई दिल्ली के अनिल कुमार दीक्षित के समक्ष केस नम्बर c i c /Ad/A/2010/001054 का निर्णय आज भी मौजूद है।फर्जी न्यूज़ वन चैनल के खिलाफ कार्यवाही क्यों नहीं?
सुप्रीम कोर्ट ने ने नफरत फैलाने वाले टीवी चैनल पर सख्ती दिखाई है लेकिन मेरे द्वारा सूचना के अधिकार से प्राप्त सूचना से न्यूज़ वन चैनल पर कार्यवाही क्यों नहीं हुई? ताज्जुब होता है। बबलू कुमार ने इस चैनल पर कार्यवाही करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से लेकर सूचना प्रसारण मंत्रालय तक एक कर दिया, लेकिन नतीजा शून्य रहा।मेरे द्वारा भी सूचना प्रसारण मंत्रालय को संज्ञान में दिया गया है। इस मंत्रालय के तत्कालीन उप निदेशक सुश्री सुप्रिया साहू मेरे साथ केंद्रीय सूचना आयोग दिल्ली में मेरे सवालों इस चैनल की वैधता की मांग के जवाब देने के लिए अन्य अधिकारियों के साथ आईं थीं,।आरोप सच साबित हुआ था कि न्यूज़ वन चैनल फर्जी तरीके से भारत में प्रसारण होता रहा,क्योंकि मंत्रालय से इसका अपलिंक डोनलिंक ना ही कोई लायसेंस था,फिर भी यह चैनल देहरादून से प्रसारित किया गया था। केंद्रीय सूचना आयोग दिल्ली में प्रसिद्ध कुमार बनाम सूचना प्रसारण मंत्रालय नई दिल्ली के अनिल कुमार दीक्षित के समक्ष केस नम्बर c i c /Ad/A/2010/001054 का निर्णय आज भी मौजूद है।इसके निदेशक संजय घई और सुभाष घई को आजतक कुछ नहीं बिगड़ा।ये दोनों खुद अपराधी छवि के है और इनके खिलाफ 50 से अधिक मामले कई राज्यों में अपहरण,लूट,हत्या के प्रयास,जमीन पर दखल आदि के संगीन आरोप है और ये अभी खुलयाम घूम रहे हैं। देहरादून के सुरभि होटल को कौन नही जानता है जो घई का है। सुप्रीम कोर्ट आई वास नही कर के इसके जड़ को पकड़े। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को टीवी न्यूज कंटेंट पर रेग्युलेशन की कमी पर अफसोस जताते हुए कहा कि नफरत फैलाने वाले भाषण एक 'बड़ा खतरा'' हैं और भारत में 'स्वतंत्र एवं संतुलित प्रेस' की जरूरत है। शीर्ष अदालत ने कहा कि आजकल सब कुछ टीआरपी (टेलीविजन रेटिंग प्वाइंट) से संचालित होता है और चैनल एक-दूसरे के साथ होड़ कर रहे हैं और इससे समाज में विभाजन पैदा कर रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि यदि कोई टीवी समाचार एंकर, नफरत फैलाने वाले भाषण के प्रचार की समस्या का हिस्सा बनता है, तो उसे प्रसारण से क्यों नहीं हटाया जा सकता है।
न्यायालय ने कहा कि प्रिंट मीडिया के उलट, न्यूज चैनलों के लिए कोई भारतीय प्रेस परिषद नहीं है। इसने कहा कि 'हम स्वतंत्र भाषण चाहते हैं, लेकिन किस कीमत पर।’ देश भर में नफरती भाषणों की घटनाओं पर अंकुश लगाने और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने कहा, 'घृणास्पद भाषण एक बड़ा खतरा बन गया है। इसे रोकना होगा।'
‘मीडिया ट्रायल’ पर चिंता जताते हुए बेंच ने एयर इंडिया के एक विमान में एक व्यक्ति द्वारा महिला सहयात्री पर कथित तौर पर पेशाब किए जाने की हालिया घटना की ओर इशारा करते हुए कहा, 'उसका नाम लिया गया। मीडिया के लोगों को समझना चाहिए कि उसके खिलाफ अभी भी जांच चल रही है और उसे बदनाम नहीं किया जाना चाहिए। हर किसी की गरिमा होती है।' जस्टिस जोसेफ ने कहा कि टीवी चैनल एक-दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं क्योंकि समाचार कवरेज टीआरपी से प्रेरित है।
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