विश्व सामाजिक न्याय दिवस पर जाने अन्याय की कथा!- प्रसिद्ध यादव।
सामाजिक अन्याय की कथा, प्रवचन, चर्चा कहीं धार्मिक अनुष्ठान, उत्सवों में सुनाई नही पड़ी होगी, क्योंकि जब दमित, क्रूरता, छुआछूत, भेदभाव की कहानी लोग जान जाएंगे तो पाखंडियों की दुकानें बंद हो जाएगी।इसी अन्याय के जाल में यह दुकान चलती है। सामाजिक अन्याय की कहानी सामाजिक न्याय के योद्धा ही बता सकते हैं, क्योंकि उन्होंने इसे झेला है।सामाजिक न्याय योद्धाओं की बात करें तो भारत में बहुत लंबी सूची है। भारत के जर्रे जर्रे में सामाजिक अन्याय होता रहा। ज्योति बा फुले,सावित्री बाई,पेरियार, बाबा साहेब भीम राव अम्बेडकर ,शाहू जी महाराज,, शहीद जगदेव प्रसाद,कर्पूरी ठाकुर,लालू यादव, मुलायम सिंह यादव, शरद यादव से लेकर अनगिनत योद्धा हुए तब आज नीचे के लोग स्वाभिमान से सर उठाकर जी रहे हैं। लोगों को सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के बारे में जागरूक करने के लिए हर साल 20 फरवरी सामाजिक न्याय का विश्व दिवस मनाया जाता है. ताकि युवाओं को सामाजिक अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने और लिंग, आयु, नस्ल, जातीयता, धर्म, संस्कृति या अक्षमता के संबंध में बाधाओं को दूर करने के लिए जागरूक किया जा सके. इस दिन, कई स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय विशेष गतिविधियां करते हैं और गरीबी, सामाजिक और आर्थिक बहिष्कार, या बेरोजगारी से संबंधित विषय पर कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. पी एस कृषण नॉकरशाह होते हुए आंध्रप्रदेश के गंटूर में दलित बस्तियों में उच्च वर्ग को जाने के लिए मजबूर कर दिया था
26 नवंबर 2007 में अपने 62वें सत्र में, संयुक्त राष्ट्र की महासभा ने 20 फरवरी को विश्व सामाजिक न्याय दिवस के रूप में घोषित किया. पहली बार 20 फरवरी 2009 को यह दिवस मनाया गया था. इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन (ILO) ने 10 जून 2008 को निष्पक्ष वैश्वीकरण के लिए सामाजिक न्याय पर ILO घोषणा को सर्वसम्मति से अपनाया था. यह ILO के 1919 के संविधान के बाद से अंतरराष्ट्रीय श्रम सम्मेलन द्वारा अपनाए गए सिद्धांतों और नीतियों का तीसरा प्रमुख कथन है.
सामाजिक न्याय की आंदोलन की जरूरत क्यों पड़ी?ये जानना जरूरी है।मानव मानव में रंग,जाति, धर्म,लिंग, क्षेत्र में इतना भेदभाव था कि मानव को कीड़े मकोड़े से भी बदतर समझा जाता था। न एक साथ रह सकते थे, न छाया भी मंजूर नहीं थी,विकास, शिक्षा ये सब अकल्पनीय थी।
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