बुरी चीजों की अनेक पैरोकार ! -प्रसिद्ध यादव।
बुरी चीजों की अनेक पैरोकार !
हर जगह, हर समय मुफ्त में
मिलते हैं ये उपहार !
न बिना शीशा के मकान
न बिना नशा के जवान !
महादेव की बुटी है
जो पी लें तो जन्मघुट्टी है।
मर्दों के लिए है जेल
जो नही गया एक बार
वो क्या जाने खेल!
बुद्धि वर्धक चूर्ण
जो इसे खाता है
वही है सम्पूर्ण !
सिगरेड की धुँए की छल्ले
उड़ाओ तो जीवन बल्ले बल्ले!
आदमी कहीं से लुटता है ।
क्योंकि पैसा बोलता है !
अच्छी आदतों से क्यों है बैर ?
इससे क्या नहीं मिलती ठौर ?
सदाचार, सद्विचार, शिष्टाचार ,उत्तम व्यवहार
खुद सुखी, दूसरे भी खुश।
नशामुक्त, तनावमुक्त, भयमुक्त
क्या कम है?
न दोहण, न शोषण ,न छीनाझपटी किसी से
जितना है पास ,संतोष उसी से।
संगति हो अच्छे की तब
बुरा कहाँ से होय!
बुरे संगति में पड़ गए तो
चैन कहाँ से होय।
Comments
Post a Comment