उपेंद्र कुशवाहा न घर के, न घाट के रहेंगे !- प्रसिद्ध यादव।

  


उपेंद्र कुशवाहा को नीतीश एकबार सदन के विपक्ष के नेता बन दिया, खुद को बिहार के सीएम होने का ख्वाब देखने लगे।यह अच्छी बात है, देखना चाहिए। इतना अस्थिरता वाले नेता हैं कि केंद्र सरकार में महत्वपूर्ण मंत्री के पद पर रहते हुए .घोंच दिखाते रहे। राजद के साथ गठबंधन बनाये ।खुद तो गये सनम दूसरों को भी लेते गये।इनका कोइरी, कुशवाहा के नेता होने का भ्रम टूट गया। अपनी पार्टी आरएलएसपी को जदयू में विलय कर लिया और बन गए संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष। इसके बाद बिहार दौरा शुरू किया तभी लगा कि ये डागरा पर के बैगन है। फिर कुछ करेंगे। अब भाई के बटवाड़ा में आधा हिस्सा मांग रहे हैं। अपनी डील, कभी राजद की डील की बात करते हैं।खुद नीतीश के उत्तराधिकारी चाहते हैं। जदयू अकेले सत्ता में आये तो बनिये कौन मना कर दिया है। इससे पहले जगदेव बाबू के उत्तराधिकारी बनने के रेस में थे और उनके पुत्र नागमणि के साथ अपनी चेहरा चमका रहे थे। नागमणि समझ गए कि ये आस्तीन के सांप है और बोले कि ये एक वार्ड के चुनाव जीतकर दिखाए। उपेंद्र कुशवाहा न जाने कितनों कुशवाहा नेताओं के दुरुपयोग किया, धन,बल से अपनी राजनीति चमकाते रहे। स्व सत्यानंद दांगी इनके साथ रहकर धन समय सब बर्बाद किया था।अंत में इनसे अलग होकर दल बना लिया था और फिर असमय बीमारी से चले भी गये। निरंजन कुशवाहा इनके चक्कड़ में अपना राजनीति कैरियर बर्बाद कर दिया था। राजद एमएलसी का टिकट दिया एक वोट से हार गए।उपेंद्र को लगा कि ये कुशवाहा के नेता बन जायेगा।झट से अपने पाले में लिया और बिहार का दौड़ा करवाया। निरंजन जदयू में गये,फिर अभी राजद में है।पहले बिहार प्रवक्ता थे।अभी दल के सेवक बनकर काम चल रहे हैं।उपेंद्र कुशवाहा जी प्रोफेसर हैं,बुद्धिजीवी हैं लेकिन एक बात उन्हें क्यों समझ नही आती की एक जाति के भरोसे कोई मुखिया नही बन सकता है फिर सीएम बनने की सपना मुंगेरी लाल के सपने हैं। जदयू का आरोप है कि ये भाजपा की स्क्रिप्ट पढ़कर बोलते हैं।इनकी नाव की किनारा भाजपा के घाट पर ही लगेगी,लेकिन वहां भी सम्राट चौधरी कुशवाहा के मजबूत स्तम्भ खड़े हैं।इनके सामने दूसरा कोई कुशवाहा नेता बने असम्भव! याद कीजिए इनके पिता जी शकुनि चौधरी राजद में थे और तीन कोइरी राजद विधायकों का वोट अपने ही दल के उम्मीदवार निरंजन कुशवाहा के खिलाफ दे दिया था और बेचारे एक वोट से हार गए थे। बागी कुमार वर्मा अभी राजद से कुर्था के विधायक है।राजद से तीन बार बने।जदयू में थे तीन बार टिकट मिला था और तीनों बार हारे थे।उपेंद्र कुशवाहा जी को स्थिर मन कर के भरत की तरह बड़े भाई का खयाल रखें।

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