समलैंगिक पत्नी पति की हत्या करवाई !- प्रसिद्ध यादव।
ननद भौजाई में भी हुआ है प्यार! दोनों ने रचाई थी शादी।
ये न कोई काल्पनिक कहानी है और न ही कोई दूर दराज की घटना है। ये समलैंगिक की कहानी पटना जिला के फुलवारी शरीफ थाना की है। मैं इसी थाना के 41 में रहता हूँ और भुसौला दानापुर थाना संख्या 42 में है। हत्या की वारदात पड़ोसी थाना शाहपुर के सरारी गाँव के पास की है।इन घटनाओं की जिक्र करने के पहले एक बात जानना जरूरी है कि जहां राम की हत्या हुई है ठीक करीब 8 माह पहले बड़ी खगौल के डेकोरेटर पप्पू पंडित की उसी जगह के आसपास दिन में हत्या हुई थी। कही हत्यारों के लिए यह सेफ जोन तो नही है।
मुफ्त का मिला चीज बहुत हानिकारक और कभी कभी जानलेवा भी होता है। पवन राम को लगा कि मुफ्त में एक पर एक फ्री मिल गई, लेकिन समलैंगिकता की बीमारी ने जो थी उसे भी छीन ली। पत्नी अपने सहेली के साथ खुश रहने लगी थी, उसे पति की जरूरत खत्म हो गई थी लेकिन पति को पत्नी की जरूरत थी और यही कारण है कि दूसरी युवति के साथ पत्नी के समलैंगिक संबंध का विरोध करना पति का महंगा पड़ गया..और पत्नी ने अपनी समलैंगिक साथी के साथ मिलकर साजिश कर हत्या करवा दी..इसका खुलासा पुलिस की जांच मे हुआ है..जांच के बाद पुलिस ने दोनो समलैंगिक प्रेमी जोड़े के साथ ही कुल 5 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया.
पूरे मामले का खुलासा करते हुए पटना पश्चिमी के सिटी एसपी राजेश कुमार ने बताया कि आरोपी रानी और मृतक पवन राम की पत्नी निशू का संबंध ही हत्या का कारण बन गया।पुलिस को रानी के पास से मृतक का मोबाइल मिला जिसके बाद संदेह के आधार पर रानी को हिरासत में लेकर पुलिस ने पुछताछ शुरू की.
इस पुछताछ में पता चला कि रानी पिछले वर्ष मृतक के पत्नी निशू से एक अस्पताल में मिली थी। जिसके बाद वह निशू से बात करने लगी और उससे रानी को प्यार हो गया। रानी निशू के साथ रहना चाहती थी। रानी उसके घर पर ने जाने लगी थी. ।इसी क्रम में पवन से रानी का जान पहचान हो गया। उसके साथ भी रानी ने अंतरंग संबंध बनायी ताकि वो निशू के साथ वह रह सके। रानी उसके घर जाकर कई बार रही थी। जिसका पवन विरोध करता था.।विरोध की वजह से उसका अपनी पत्नी के साथ झगड़ा भी हुआ था. ।झगड़े के बाद निशु और रानी पवन को अपना दुश्मन मानने लगी..और दोनो ने मिलकर उसकी हत्या का योजना बनायी. रानी ने मोनू ,प्रिंस और अपने बहन के पुत्रों राहूल और सूरज के साथ मिलकर पवन की हत्या करा दी।
इस खुलासे के साथ ही पुलिस ने मृतक की पत्नी और उसकी सहेली के साथ ही हत्या करने वाले तीन यवकों को गिरफ्तार कर लिया है.
ननद भौजाई में प्यार -
बिहार से अजब प्रेम की एक गजब कहानी सामने आई थी . यहां ननद के प्यार में पागल भाभी ने उसी से शादी रचा ली. यह अनोखा मामला तब प्रकाश में आया जब प्यार में पागल भाभी ननद को पाने के लिए थाना में फरियाद लगाने पहुंची. मामला समस्तीपुर जिला के रोसड़ा थाना क्षेत्र के ढरहा गांव का है. मिली जानकारी के मुताबिक ढरहा गांव के प्रमोद कुमार की शादी सकूला देवी नाम की महिला से 10 साल पहले हुई थी. शादी के बाद सकूला को अपनी छोटी ननदी सोनी से प्यार हो गया.
दोनों के बीच का ये प्यार इतना परवान चढ़ा कि दोनों ने पांच महीने पूर्व एक दूसरे के साथ समलैंगिक विवाह रचा लिया. इस मामले में हाई वोल्टेज ड्रामा रोसरा थाने पर हुआ. जानकारी के मुताबिक सोनी की बड़ी बहन घर पहुंची और उसे अपने साथ लेकर चली गई जिसके बाद सोनी को पाने के लिए सकुला देवी रोसरा थाना पर पहुंच गई और पुलिस प्रशासन से सोनी को वापस दिलाने की गुहार लगाने लगी. भाभी और ननद के बीच हुए समलैंगिक विवाह की जानकारी सकुला देवी के पति को भी थी.
चीफ़ जस्टिस दीपक मिश्रा ने फ़ैसला सुनाते हुए कहा कि समलैंगिकता अपराध नहीं है. समलैंगिको के भी वही मूल अधिकार हैं जो किसी सामान्य नागरिक के हैं. सबको सम्मान से जीने का अधिकार है.
भारत के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट के चीफ़ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस रोहिंटन नरीमन, एएम खानविलकर, डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदु मल्होत्रा की संवैधानिक पीठ इस मामले पर फ़ैसला सुनाया था।
सुप्रीम कोर्ट ने साल 2013 में दिल्ली हाई कोर्ट के फ़ैसले को पलटते हुए इसे अपराध की श्रेणी में डाल दिया था.
समलैंगिक विवाहों को 21 देशों में मान्यता प्राप्त है जिसमे प्रमुख अर्जेंटीना, ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, कोलंबिया, डेनमार्क, इक्वाडोर, फिनलैंड, आइसलैंड, आयरलैंड, लक्जमबर्ग, माल्टा, न्यूजीलैंड, नॉर्वे, पुर्तगाल, स्पेन, स्वीडन और उरुग्वे में भी कानूनी मान्यता प्राप्त है। इनके आलावा मेक्सिको और इस्राएल में सीमित रूप से इन्हें मान्यता दी जाती है। दरअसल इससे पहले तक कई बार इस तरह के विवाहों को सामाजिक मान्यता नहीं दी जा रही थी मगर समय के साथ अब सोच में भी बदलाव आया है।
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने अपने अनुशंसा पत्र में वरिष्ठ वकील सौरभ कृपाल को दिल्ली हाई कोर्ट का जज बनाने की सिफ़ारिश की है.
कॉलेजियम ने लिखा है कि LGBTQI (लेस्बियन, गे, बाईसेक्शुअल, ट्रांसजेंडर, क्वीर एंड इंटरसेक्स) लोगों के हक़ों की बात करने के मामले में एक वकील के तौर पर उन्होंने जो कुछ किया है वो "मील का पत्थर" है. एक समलैंगिक के रूप में सौरभ कृपाल अपनी पहचान नहीं छिपाई है.
क़ानून के जानकारों ने फिर से सौरभ कृपाल के नाम की जज बनाने सिफ़ारिश करने के फ़ैसले का स्वागत किया है.
वैज्ञानिक अनुसंधान और नैदानिक साहित्य की आम सहमति प्रदर्शित करती है कि समलैंगिक आकर्षण, भावनाएं और व्यवहार मानव कामुकता के सामान्य और सकारात्मक बदलाव हैं। अब वैज्ञानिक साक्ष्य का एक बड़ा समूह है जो इंगित करता है कि समलैंगिक , समलैंगिक , या उभयलिंगी होना सामान्य मानसिक स्वास्थ्य और सामाजिक समायोजन के अनुकूल है।
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