बातों से भरते पेट !- प्रसिद्ध यादव।

  


पेट भरने के लिए भोजन की जरूरत होती है लेकिन  कुछ होशियार लोग भोजन के बदले बातों से पेट भरते रहते हैं।अमूनन गप्पी लोग ये ज्यादा करते हैं लेकिन परिस्थिति वश कुछ लोग भी ऐसा कर सम्बन्धियों को जल्द भागने का फिट नुक्शा मानते हैं।

आज सुबह मेरे मित्र के एक साला को सुबह से ही पूरे खेतों के दिव्य दर्शान कराने लगे। पराधीन सपनेहु सुख नाहीं वाली बात हो गई। अब चाय पीने का मन करे या कुछ खाने का तो दूसरों के ही मन से। खेतों के दर्शन हुए।यहां तक तो बर्दास्त योग्य था,लेकिन उसके बाद बोरिंग पर चार पांच लोगों के साथ बैठाकर चौपाल लगा दिया। अब सब्र कहाँ? बेचारे साले बार बार घर चलने की मनुहार करने लगे,लेकिन चौपाल में कहानियां शुरू हो गई।बेचारे मन मारकर भूखे भजन न होहि गोपाला की तरह सुनते रहे। मुझसे यह त्रासदी देखी नही गई। मैं यह दृश्य करीब दो घण्टे से अपने घर से देख रहा था।रहा नही गया मुझसे। परूपकार के चलते मैं गया और उनके साले को बोला - बस ! यही दिन याद रखियेगा।ऐसे ही इनको खेतों में घूमते6 रहिएगा। अतिथि देवो भव का मतलब समझ में आ जायेगा। साले बोले कि मेरे घर से तो ये बाहर निकलते नहीं है और साली सरहज नजर के सामने रहे। इतनी नाइंसाफी नही चलेगी।

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