Gi Tag को जानें! बिहार के मखाना, जर्दालु आम,मगही पान, शाही लीची ,कतरनी चावल को मिला है !- प्रसिद्ध यादव।

 




साल 2003 में जीआई टैग को शुरू किया गया था। यह वस्तुओं के उत्पादन और उनको पहचान और विशेषता दिलाने के लिए दिया जाता है। भारत में जी आई टैग ऐसी सभी वस्तुओं को दिया जाता है जिनकी अपनी एक विशेष खासियत होती है। यह टैग विभिन्न राज्यों या क्षेत्रों में पैदा होने वाली फसलों या वहां पर तैयार किए जाने वाले उत्पादों को विश्व में अपनी विशेष पहचान दिलाने के लिए प्रदान किया जाता है।


ऐसा नहीं है की एक वस्तु के लिए केवल एक ही क्षेत्र या राज्य को जीआई टैग दिया जाए। कई बार जी आई टैग को एक ही वस्तु के लिए दो या तीन राज्यों के लिए दिया जाता है क्यूंकि उन दोनों ही राज्यों में 1 ही प्रकार के उत्पाद या वस्तु का प्रोडक्शन किया जाता है। उदहारण के लिए पंजाब और हरियाणा दोनों ही राज्यों को चावल के उत्पादन के लिए जीआई टैग दिया गया है।



उत्पाद के पंजीकरण और उसके संरक्षण के लिए दिसंबर 1999 में एक एक्ट पारित किया गया था। इस एक्ट को Geographical Indications of Goods (Registration and Protection) Act, 1999 कहा गया। इस अधिनियम को साल 2003 में लागू किया जाने लगा जिसके तहत भारत में पाए जाने वाले उत्पादों या वस्तुओं को Geographical Indications Tag दिया जाने लगा। तब से लेकर अब तक भारत में विशेष गुणवत्ता की वस्तुओं को विश्व में पहचान दिलाने के लिए GI TAG दिया जाता है।



इन उत्पादों को मिलता है Gi Tag



निन्मलिखित उत्पादों को GI TAG दिया जाता है –



खेती से जुड़े उत्पाद /कृषि उत्पाद (जैसे चावल ,गुड़ ,चाय आदि)



प्राकृतिक उत्पाद कपडा हैंडीक्राफ्ट्स (जैसे साडी ,चद्दर , दन्न आदि)  उत्पाद ( जैसे चमड़ा ,फेनी ,इत्र आदि)



खाद्य सामग्री (नमकीन ,पेठा ,लाडू ,रसगुल्ला ,मुर्गा आदि )



भौगोलिक संकेतक सूची / Gi Tag List in Hindi



साल 2004 से मार्च 2005 तक GI टैग दिया गया –



दार्जिलिंग चाय (शब्द और लोगो) -कृषि -पश्चिम बंगाल



अरनमुला कन्नड़ -हस्तशिल्प -केरल पोचमपल्ली इकत -हस्तशिल्प -तेलंगाना


2005 से – मार्च 2006 तक जीआई टैग सूची



सलेम फैब्रिक -हस्तशिल्प -तमिलनाडु चंदेरी साड़ी -हस्तशिल्प -मध्य प्रदेश सोलापुर चादर -हस्तशिल्प -महाराष्ट्र सोलापुर टेरी तौलिया- हस्तशिल्प -महाराष्ट कोटपाड हथकरघा कपड़ा -हस्तशिल्प -ओडिशा मैसूर सिल्क हैंडीक्राफ्ट- कर्नाटक



कोटा डोरिया हस्तशिल्प -राजस्थान मैसूर अगरबत्ती निर्मित -कर्नाटक कांचीपुरम सिल्क -हस्तशिल्प -तमिलनाडु



भवानी जमक्कलम -हस्तशिल्प -तमिलनाडु



कुल्लू शॉल -हस्तशिल्प -हिमाचल प्रदेश  बिदरीवेयर हस्तशिल्प कर्नाटक



मदुरै सुंगुडी हस्तशिल्प तमिलनाडु



उड़ीसा इकत हस्तशिल्प उड़ीसा



चन्नपटना खिलौने और गुड़िया हस्तशिल्प कर्नाटक



मैसूर रोजवुड इनले हैंडीक्राफ्ट -कर्नाटक



कांगड़ा चाय कृषि -हिमाचल प्रदेश



कोयंबटूर वेट ग्राइंडर निर्मित -तमिलनाडु



श्रीकालहस्ती कलमकारी हस्तशिल्प -आंध्र प्रदेश



मैसूर चंदन का तेल -निर्मित -कर्नाटक



मैसूर चंदन साबुन -कर्नाटक



कसुती कढ़ाई हस्तशिल्प- कर्नाटक



मैसूर पारंपरिक पेंटिंग हस्तशिल्प -कर्नाटक



कुर्ग संतरा कृषि -कर्नाटक



अप्रैल 2019 से मार्च 2020 तक GI टैग सूची –



कंधमाल हलदी कृषि ओडिशा



ओडिशा रसगुल्ला खाद्य सामग्री ओडिशा



कोडाइकनाल मलाई पोंडु कृषि तमिलनाडु



पांडम हस्तशिल्प मिजोरम



नोगोतेखेर हस्तशिल्प मिजोरम



हमाराम हस्तशिल्प मिजोरम



पलानी पंचमीर्थम खाद्य सामग्री तमिलनाडु



तवल्ह्लोपुआन हस्तशिल्प मिजोरम



मिजो पुंचेई हस्तशिल्प मिजोरम



गुलबर्गा तूर दाल कृषि कर्नाटक



तिरूर सुपारी (तिरुर वेट्टीला) कृषि केरल



आयरिश व्हिस्की निर्मित आयरलैंड



खोला मिर्च कृषि गोवा



इडु मिश्मी वस्त्र हस्तशिल्प अरुणाचल प्रदेश



डिंडीगुल ताले निर्मित तमिलनाडु



कंडांगी साड़ी हस्तशिल्प तमिलनाडु



श्रीविल्लिपुत्तूर पालकोवा खाद्य सामग्री तमिलनाडु



काजी नेमू कृषि असम



असम कृषि असम का चोकुवा चावल



कोविलपट्टी कदलाई मित्तई खाद्य सामग्री -तमिलनाडु



चक – हाओ कृषि भारत (मणिपुर और नागालैंड)



गोरखपुर टेराकोटा हस्तशिल्प उत्तर प्रदेश



2020 से – मार्च 2021 तक



कश्मीर केसर कृषि जम्मू और कश्मीर



तंजावुर नेट्टी वर्क्स हैंडीक्राफ्ट तमिलनाडु



अरुंबवुर लकड़ी की नक्काशी हस्तशिल्प तमिलनाडु



तेलिया रुमाल हस्तशिल्प तेलंगाना



सोहराई – खोवर चित्रकारी हस्तशिल्प झारखण्ड



जीआई टैग (अप्रैल 2021 से मार्च 2022 तक)



चुनार ग्लेज़ पॉटरी – हस्तशिल्प (उत्तर प्रदेश)



सोजत मेहंदी – कृषि (राजस्थान)



करुप्पुर कलमकारी पेंटिंग-हस्तशिल्प (तमिलनाडु)



कल्लाकुरिची लकड़ी पर नक्काशी – हस्तशिल्प (तमिलनाडु)



उत्तराखंड के भोटिया दान- हस्तशिल्प (उत्तराखंड)



जुडिमा-निर्मित (असम)



चियोस मस्तीहा – निर्मित (ग्रीस)



गोर्गोन्जोला -खाद्य सामग्री (इटली)



ब्रुनेलो डि मोंटालिनो – निर्मित (इटली)



लैम्ब्रुस्को डि सोरबारा -निर्मित (इटली)



लैंब्रसको ग्रास्पारोसा डि कास्टेलवेट्रो-निर्मित (इटली)



बालाघाट चिन्नौर-कृषि (मध्य प्रदेश)



कुट्टियाट्टूर आम (कुट्टियाट्टूर मंगा) – कृषि (केरल)



मोंटेपुलसियानो डी’अब्रुज़ो – निर्मित (इटली)



पिथौरा – हस्तशिल्प (गुजरात)



मंजूषा कला – हस्तशिल्प (बिहार)



हरमल मिर्च कृषि (गोवा)



एडयूर मिर्च -कृषि (केरल)



उत्तराखंड ऐपन – हस्तशिल्प (उत्तराखंड)



मुनस्यारी रज़मा – कृषि (उत्तराखंड)



उत्तराखंड रिंगल क्राफ्ट – हस्तशिल्प (उत्तराखंड)



उत्तराखंड टम्टा उत्पाद-हस्तशिल्प (उत्तराखंड)



उत्तराखंड थुलमा-हस्तशिल्प (उत्तराखंड)



मिंडोली केला – कृषि (गोवा)



बनारस जरदोजी – हस्तशिल्प (उत्तर प्रदेश)



मिर्जापुर पितल बार्टन- हस्तशिल्प (उत्तर प्रदेश)



बनारस लकड़ी पर नक्काशी – हस्तशिल्प (उत्तर प्रदेश)



बनारस हैंड ब्लॉक प्रिंट – हस्तशिल्प (उत्तर प्रदेश)



कुमाऊं च्युरा तेल – कृषि (उत्तराखंड)



गोअन खाजे – खाद्य सामग्री (गोवा)



रतौल आम – कृषि (उत्तर प्रदेश)



तामेंगलोंग संतरा – कृषि (मणिपुर)



चंबा चप्पल – हस्तशिल्प (हिमाचल प्रदेश)



मऊ साड़ी – हस्तशिल्प (उत्तर प्रदेश)



लाहौली बुना हुआ जुराबें और दस्ताने – हस्तशिल्प (हिमाचल प्रदेश)



कन्याकुमारी लौंग – कृषि (तमिलनाडु)



हाथी मिर्च – कृषि (मणिपुर)



नागा ककड़ी – कृषि (नागालैंड)



Zatecký chmel’ – निर्मित (चेक गणराज्य)



मुंचनर बियर ने जर्मनी का निर्माण किया



महोबा देसावरी पान – कृषि भारत (उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश)



टोस्कानो-निर्मित (इटली)



मिजो अदरक – कृषि (मिजोरम)



दल्ले खुरसानी – कृषि (भारत सिक्किम और पश्चिम बंगाल)



Conegliano Valdobbiadene Prosecco – निर्मित (इटली)



फ्रांसियाकोर्टा – निर्मित (इटली)



Chianti – निर्मित (इटली)



बेयरिस्चेस बियर – निर्मित (जर्मनी में)



आयरिश क्रीम / आयरिश क्रीम लिकर – निर्मित (आयरलैंड)



नरसिंहपेट्टई नागस्वरम – हस्तशिलप वस्तु Q

किसी उत्पाद के लिए GI TAG प्राप्त केने के लिए सबसे पहले तो आवेदन की प्रक्रिया को पूरा करना होता है। इसके लिए उत्पाद का निर्माण करने वाली संस्था इसके लिए आवेदन कर सकते हैं। सरकारी स्तर पर भी उत्पाद के लिए GI टैग हेतु आवेदन किया जा सकता है। किसी बी संस्था या क्षेत्र/राज्य द्वारा उसके उत्पाद को जीआई टैग क्यों दिया जाये इसका कारण बताना होगा। इतना ही नहीं इस उत्पाद के गुणवत्ता और विशेषता और उसके अनोखे होने का पूरा विवरण देना होगा। यदि ऐसा ही उत्पाद कहीं और भी है तो वह उससे किस प्रकार अलग है इसके बारे में बताना होगा। आपके द्वारा दिए साक्ष्यों के आधार पर संस्था उचित तर्कों का परिक्षण करती है। जैसे ही यह उत्पाद मानकों पर खरा उतरता है इसे GI टैग दिया जाता है।



Controller General of Patents, Designs and Trade Marks (CGPDTM) द्वारा आपके दिए गए आवेदन को जांचा जाता है। इस संस्था द्वारा आपके किये गए दावे की जाँच पड़ताल की जाती है। इसके बाद ही जाँच पूरी हो जाने के बाद सम्बंधित उत्पाद /वस्तु को GI टैग दिया जाता है।

उत्पादों को जीआई टैग भौगोलिक संकेत माल (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 1999 के तहत प्रदान किया जाता है। किसी वास्तु या उत्पाद को जीआई टैग उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत भौगोलिक संकेत रजिस्ट्री द्वारा जारी किया जाता है।

वर्ल्‍ड इंटलैक्‍चुअल प्रॉपर्टी ऑर्गेनाइजेशन (WIPO) के अनुसार जियोग्राफिकल इंडिकेशंस टैग यानी भौगोलिक संकेतक उत्पादों को दिए जाने वाला एक प्रकार का लेबल होता है। इसमें किसी उत्पाद को उसके भौगोलिक स्थिति के आधार पर विशेष पहचान प्रदान की जाती है।



भारत में सबसे पहले 2004-05 में दार्जिलिंग चाय को जीआई टैग दिया गया है

किसी विशेष प्रकार के उत्पाद को उसकी भौगोलिक विशेषताओं और उसकी गुणवत्ता के आधार पर विशेष स्थान प्रदान करना और इसी जैसे उत्पाद को अन्य स्थान पर अवैध रूप से उपयोग करने जैसी घटना से सुरक्षा प्रदान केने के लिए जीआई टैग दिया गया है।

बिहार के कतरनी चावल ,मगही पान ,शाही लीची ,जर्दालु आम आदि की जीआई टैग मिला है।



महाराष्ट्र के सांगली हल्दी ,अल्फांसो आम ,सोलापुर चादर आदि को जीआई टैग मिला है।

बिहार में अब तक कुल 5 कृषि उत्पादों को जीआई टैग मिल चुका है. जिसमें भागलपुरी जर्दालू, कतरनी चावल, मघई पान, बिहार की शाही लीची और मिथिला मखाना शामिल हैं. इन फसलों के स्वाद, गुणवत्ता, उपज और साथ ही रकबे को देखते हुए इन्हें GI Tag से सम्मानित किया गया है.
तो दोस्तों जैसा की हमने आप सभी को इस लेख में जीआई टैग की फुल फॉर्म के बारे में बताया है की इसकी फुल फॉर्म Geological Indication होती है। जिसको हिंदी भाषा में भौगोलिक संकेत के नाम से भी जाना जाता है। आप सभी को यह बता दे की यह एक प्रकार का टैग होता है जो की किसी भी वस्तु को प्रदान किया जाता है। आप सभी को यह भी बता दे की यह टैग किसी भी वास्तु को तब प्रदान किया जाता है जब कोई भी वस्तु किसी भी स्थान की विशेषता को दर्शाते है जैसे की – दार्जीलिंग की चाय को भी यह जीआई टैग प्रदान किया गया है। उसी प्रकार है दाल बाटी चूरमा जो की राजस्थान की प्रसिद्ध चीज है वहाँ के लोग इसको खाना बहुत अधिक पसंद करते है।

जीआई टैग के द्वारा इस प्रकार की चीजों को एक अलग ही पहचान दी जाती है। इसमें किसी भी चीज को एक अलग प्रकार की पहचान दी जाती है जिससे की किसी भी विशेष स्थान का पता चलता है जिससे यह पता चलता है की यह वस्तु क्यों मशहूर है और किस स्थान की मशहूर है। यानि के जीआई टैग के द्वारा किसी भी वस्तु को एक भौगोलिक पहचान प्रदान की जाती है। जीआई टैग केवल खाने की वस्तुओं को ही नहीं बल्कि और भी कई अन्य चीजों को प्रदान किया जाता है। यह उस स्थान के बारे में बताता है जिस स्थान की वह वस्तु मशहूर होती है। उदहारण के लिए आप सभी को बता दे – जैसे की चावल , वैसे तो चावल की फसल भारत में अनेकों स्थानों पर उगाई जाती है परन्तु पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश जैसे राज्य इसकी फसल के लिए अधिक मशहूर है।

वेब के सौजन्य से-

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