मेरा नाम सावरकर नहीं है. मैं गांधी हूं , गांधी कभी माफ़ी नहीं मांगते" !- राहुल गांधी!-प्रसिद्ध यादव।

 




देश में  एक और क्रांति की जरूरत है !
तानाशाह आमतौर पर निरंकुश राजनीतिक शक्ति हासिल करने के लिए बल या धोखाधड़ी का सहारा लेते हैं, जिसे वे डराने-धमकाने,  फंसाने और बुनियादी नागरिक स्वतंत्रता के दमन के माध्यम से बनाए रखते हैं । वे अपने जन समर्थन को बनाए रखने के लिए बड़े पैमाने पर प्रचार की तकनीकों को भी नियोजित कर सकते हैं।
जब सत्ता के दुरुपयोग कर विरोधियों को फंसाने, जलील करने,दमन करने का कुचक्र चला जाये वहाँ क्रांति की चिंगारी निकलना तय है। जब सरकार की दृष्टि धृतराष्ट्र की तरह हो जाये वहां लोककल्याण और न्याय की उम्मीद करना बेमानी है।जहां सरकार की स्तम्भएँ बिकने लगे ,संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग होने लगे,मीडिया रखैल बन कर रह जाये वहां निकट भविष्य में क्रांति होना तय है। सरकार को आईना दिखाने वाले को देशद्रोही कहा जाने लगे ।दिन रात लोककल्याण की बात छोड़कर हिन्दू राष्ट्र ,सनातन धर्म, मज़हब की जुगाली होती रहे ।गाय, गोबर,गंगा के आगे कुछ दिखाई न दे वो अंधेर नगरी चौपट राजा ही है।किसानों के छाती पर मंत्री के बेटा गाड़ी से रौंद रहा है, हाथरस जैसे घिनौनी कुकृत्य हो रहे हैं फिर भी रामराज्य है। आशाराम जैसे दुष्कर्मी के शिष्य विश्व गुरु बनाने चला है। 2022 में किसानों की आय दुगनी करने वाले जुमलेबाजी करने वाले कि बोलती बंद है। युवाओं को रोजगार देने की झांसे देने वाले राष्ट्रीय संपदा को अपने चहेतों के हाथों बेचने में लगे हुए हैं। इसके बाद भी कोई कहता है कि चुप रहो ! सवाल मत पूछो!वरना ईडी, विजिलेंस लगाकर सलाखों में बन्द कर देंगे।ऐसे गीदड़भभकी देने वाले को समझना चाहिए कि यह देश बीरों का है।जेलखाने कम पड़ जाएंगे।
राहुल गांधी के मामले में लोकसभा सचिवालय की फुर्ती देश के लोग देखा।ऐसे ही चुनाव आयोग की नियुक्ति में मोदी सरकार की फुर्ती देखे हैं। इतनी फुर्ती क्यों? लोकसभा सचिवालय की फुर्ती से  मोदी अपने चहेते अडानी की रिश्ते की मांग लोकसभा में सुनाई नही पड़ेगी।दूसरा चुनाव आयोग की 24 घण्टे में नियुक्ति होने पर 2024 में पुनर्वापसी होगी। दोनो षड्यंत्र को देश के लोगों ने देखा है और यह दांव उल्टा पड़ेगा। धर्म के नाम पर हिन्दू हिन्दू के रट्टा मारने वाले कि अब दाल गलने वाली नही है।युवाओं को, रोजगार चाहिए, किसानो को आमदनी ,उपभोक्ताओं को महंगाई से राहत चाहिए, कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना चाहिए।सीमा पर जवानों को सुरक्षा चाहिए।गृहणियों को सस्ते रसोई गैस चाहियें, रोगियों को इलायज चाहिए, विद्यार्थियों को स्कूल चाहिए ।धर्म,मज़हब, मंदिर मस्जिद से इसमें एक भी आवश्यकता पूरा नहीं हो सकता है लेकिन सरकार इसी को प्रमुख एजेंडा बना रखी है और लोग अंधकूप में छलांग लगा रहे हैं। करोड़ों अरबों की धर्म की दुकान से सिर्फ इसके संचालक, प्रबंधक,पुजारी को लाभ है बाकी लोग लुटवाने के लिए लम्बी लम्बी कतारें लगाकर धक्के खाने के लिए मजबूर हैं। कितनों के हाथ खून से रंगे हुए हैं लेकिन उसका बाल भी बांका न हुआ और किसी की जम्हाई लेना भी दुश्वार हो गया है।समय समय की बात है।एकदिन ऐसा आएगा कि दूसरे लोग भी सलाखों में होंगे।

संसद सदस्यता रद्द होने के बाद आज संवाददाता सम्मेलन कर राहुल गांधी ने भाजपा और खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जमकर आरोप लगाए. राहुल गांधी ने कहा कि अगर प्रधानमंत्री को लगता है कि मुझे डरा कर, जेल में डालकर, मार-पीटकर, disqualify करके चुप करा लेंगे तो वो गलतफहमी में हैं. प्रधानमंत्री panic हो गए हैं. उन्होंने विपक्ष को सबसे बड़ा हथियार दे दिया है. मुझे इन सबसे कोई फर्क नहीं पड़ता. भाजपा के माफी मांगने के मांग पर राहुल गांधी ने कहा, "मेरा नाम सावरकर नहीं है. मैं गांधी हूं , गांधी कभी माफ़ी नहीं मांगते"

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि मैंने आपसे कई बार बोला है कि लोकतंत्र पर हमला हो रहा है. मेरी स्पीच संसद से हटा दी गई. मैंने नियम बताए और स्पीकर को डीटेल में चिठ्ठी भी लिखी, पर मुझे बोलने नहीं दिया गया. भाजपा वालों ने मुझे भारत विरोधी बताया. मेरा सदस्य के तौर पर सफ़ाई देने का अधिकार है, मगर स्पीकर ने मुझे बोलने नहीं दिया. सभी विपक्षी दलों का धन्यवाद है कि उन्होंने मेरा साथ दिया. आगे साथ मिलकर काम करेंगे. हालांकि, एक संवाददाता के यह पूछने पर कि क्या आपको अपने बयान पर अफसोस है? राहुल गांधी ने कहा कि अब यह लीगल मैटर है. इसपर बोलना ठीक नहीं है. मैं हिंदुस्तान के लिए लड़ूंगा. मैं लोकतंत्र के लिए लड़ूंगा.



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