गुजरात व केंद्र सरकार द्वारा दोषियों के माफीनामा पर सुप्रीम कोर्ट सख्त।-प्रसिद्ध यादव।

  


धर्म जाति के साथ भेदभाव !क्या यही है सरकार की राजधर्म?

संविधान और न्यायालय आज अपने अस्तित्व में है इसलिए लोग सुरक्षित हैं वरना ऐसी सरकार से सुरक्षा की अपेक्षा करना बेमानी है।

गुजरात व केंद्र सरकार की दोहरे चरित्र पर सुप्रीम कोर्ट सख्ती बरती है।मोदी के सब के साथ, सब के विकास की जुमलेबाजी बिल्किस बानो के दोषियों के रिहाई के मामले में असली चेहरा सामने आ गया। कैसे जघन्य अपराधियों को समय से पहले रिहा कर जश्न मनाया था।सुप्रीम कोर्ट ने 2002 के गुजरात दंगों के दौरान सामूहिक बलात्कार की शिकार बिल्कीस बानो की उस याचिका पर सोमवार को केंद्र, गुजरात सरकार एवं अन्य से जवाब तलब किया, जिसमें उन्होंने दोषियों को समय-पूर्व रिहा किये जाने के फैसले को चुनौती दी है. गुजरात के गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के एक डिब्बे में आगजनी की घटना के बाद भड़के दंगे के दौरान बानो के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया था और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या कर दी गयी थी. बानो ने इस मामले में दोषी ठहराये गये 11 अपराधियों की बाकी सजा माफ किये जाने के राज्य सरकार के फैसले को चुनौती दी है.

न्यायमूर्ति के. एम. जोसेफ और न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना की पीठ ने मामले की सुनवाई के लिए 18 अप्रैल की तारीख मुकर्रर करते हुए कहा कि इसमें कई मुद्दे समाहित हैं और इस मामले को विस्तार से सुनने की आवश्यकता है. शीर्ष अदालत ने केंद्र, गुजरात सरकार और दोषियों को नोटिस जारी किये. पीठ ने गुजरात सरकार को निर्देश दिया कि वह अगली सुनवाई के दौरान दोषियों की शेष सजा माफ किये जाने के फैसले के संबंध में प्रासंगिक फाइल के साथ मौजूद रहे. न्यायालय ने सुनवाई के दौरान कहा कि वह इस मामले में भावनाओं के साथ सुनवाई के बजाय कानून के विभिन्न पहलुओं पर विचार करेगा.


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